मानसून में दूध, दही और छाछ: क्या चुनें?

मानसून के दौरान खानपान में सावधानी बरतना आवश्यक है। इस लेख में जानें कि बारिश के मौसम में दूध, दही और छाछ का सेवन कैसे करें। आयुर्वेद के अनुसार, ठंडा दूध कफ बढ़ा सकता है, जबकि दही का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। छाछ को इस मौसम में सबसे अच्छा विकल्प माना गया है। सही खानपान से आप मानसून को भी स्वस्थ बना सकते हैं।
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मानसून में दूध, दही और छाछ: क्या चुनें?

मानसून में खानपान की सावधानियाँ

बारिश के मौसम में गंदगी और दूषित जल के कारण टाइफॉइड, फूड पॉयज़निंग, डायरिया और हेपेटाइटिस A जैसी बीमारियाँ तेजी से फैलती हैं। बासी खाना या खुले में रखे चाट-पकौड़े जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में यह जानना आवश्यक है कि घर के बने दूध, दही और छाछ का सेवन कब करना चाहिए।


दूध, दही और छाछ का चयन

मानसून में दूध, दही और छाछ: क्या चुनें?


मानसून के दौरान हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसे में कई लोग यह सोचते हैं कि ठंडा दूध, दही या छाछ में से कौन सा विकल्प बेहतर है। आयुर्वेद के अनुसार, हर मौसम में खानपान का चयन शरीर के वात, पित्त और कफ संतुलन के अनुसार करना चाहिए।


मानसून का मौसम गर्मी से राहत तो देता है, लेकिन यह पाचन तंत्र के लिए चुनौती भी बन सकता है। इस दौरान हवा में नमी और बैक्टीरिया की सक्रियता बढ़ जाती है, जिससे खाने-पीने से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों मानते हैं कि इस मौसम में पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है।


ठंडा दूध: कब और कैसे?

दिल्ली सरकार के आयुर्वेद विभाग के डॉ आरपी पराशर बताते हैं कि बारिश में ठंडा दूध पीने से शरीर को अस्थायी ठंडक मिलती है, लेकिन यह कफ बढ़ाने वाला होता है। इस मौसम में पहले से ही नमी और ठंड का असर होता है, जिससे ठंडा दूध बलगम, गले में खराश और पाचन संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकता है। जिन लोगों को एलर्जी या जुकाम की समस्या है, उन्हें इसे पीने से बचना चाहिए। हल्का गर्म दूध पीना बेहतर होता है।


दही का सेवन

डॉ पराशर के अनुसार, दही में पोषक तत्व होते हैं, लेकिन इसे खाने में सावधानी बरतनी चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार, मानसून में दही भारी और कफवर्धक होता है, जिससे पाचन धीमा हो सकता है। यदि दही खाना है, तो इसे दिन में खाना चाहिए और रात में नहीं। काली मिर्च या हींग डालकर खाने से इसके गुण बढ़ जाते हैं।


छाछ: सबसे अच्छा विकल्प

आयुर्वेद में छाछ को अमृत तुल्य माना गया है, खासकर मानसून में। यह हल्का, पचने में आसान और पेट को ठंडक देने वाला होता है। छाछ गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं को कम करता है। इसमें काली मिर्च, सेंधा नमक या अजवाइन मिलाकर पीने से इसके गुण और बढ़ जाते हैं।


विशेषज्ञ से सलाह लें

बारिश के मौसम में ठंडा दूध और दही कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकते हैं, जबकि छाछ एक सुरक्षित और पाचक विकल्प है। आयुर्वेद भी यही सलाह देता है कि मौसम के अनुसार खानपान करें। यदि पेट से जुड़ी समस्याएँ बार-बार हो रही हैं, तो किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर या पाचन रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।