माणिकराव कोकाटे का इस्तीफा: आर्थिक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तारी वारंट
माणिकराव कोकाटे का इस्तीफा
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री माणिकराव कोकाटे ने गुरुवार को उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को अपना इस्तीफा सौंपा। उन्हें एक दिन पहले सभी मंत्री पदों से हटा दिया गया था। नासिक की अदालत ने 1995 के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) आवास आरक्षण धोखाधड़ी मामले में कोकाटे और उनके भाई विजय के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसके बाद उन्हें अपने सभी मंत्री पदों से हाथ धोना पड़ा।
कोकाटे को राज्य के 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) आरक्षण के तहत अपनी आय कम बताकर दो फ्लैट प्राप्त करने के आरोप में दो साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
मुख्यमंत्री का कदम
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कोकाटे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और इसे आगे की कार्रवाई के लिए राज्यपाल आचार्य देवव्रत को भेज दिया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मंत्री माणिकराव कोकाटे ने बुधवार को बॉम्बे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोपों में दोषी ठहराए जाने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। 67 वर्षीय कोकाटे ने निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में अपने कार्यकाल को जारी रखने के लिए अपनी दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
कानूनी पहलू
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत, यदि किसी निर्वाचित प्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की कैद की सजा होती है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है। कोकाटे के अधिवक्ता अनिकेत निकम ने न्यायमूर्ति आरएन लड्ढा के समक्ष तत्काल सुनवाई की मांग की और कहा कि उनकी दोषसिद्धि और सजा के परिणामस्वरूप मंत्री पद से अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
मामले का विवरण
यह मामला 1989 से 1992 के बीच का है, जब राज्य सरकार ने जरूरतमंदों के लिए आवास योजना शुरू की थी। जरूरतमंद की परिभाषा उन लोगों के लिए थी, जिनकी वार्षिक आय 30 हजार रुपये से अधिक नहीं हो। कोकाटे और उनके भाई विजय ने फ्लैट प्राप्त करने के लिए आय के संबंध में फर्जी हलफनामा दायर किया। उन्हें 1994 में नासिक में फ्लैट आवंटित किए गए, जबकि उन्होंने ईडब्ल्यूएस फ्लैट की पात्रता को लेकर झूठे दावे किए थे।
सत्र न्यायालय ने कोकाटे की सजा को बरकरार रखा। उन्हें IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465 (जाली दस्तावेज बनाना), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (बेईमानी से फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल) के तहत सजा सुनाई गई थी। अभियोजन पक्ष ने नासिक कोर्ट में फर्जीवाड़े से जुड़े कई दस्तावेज पेश किए, जिन पर गौर करने के बाद निचली अदालत ने कोकाटे को राहत देने से इंकार कर दिया।
