माउंट एवरेस्ट पर बढ़ता कचरा: पर्यावरणीय संकट का संकेत

माउंट एवरेस्ट, जो साहस और रोमांच का प्रतीक है, अब कचरे के ढेर में बदलता जा रहा है। हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो ने इस पर्वत की चिंताजनक स्थिति को उजागर किया है, जिसमें बर्फ और पत्थरों के बीच प्लास्टिक की बोतलें और अन्य कचरा बिखरा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि अनियंत्रित पर्यटन और पर्वतारोहियों की लापरवाही इस समस्या का मुख्य कारण है। नेपाल सरकार और पर्यावरण संगठनों के प्रयासों के बावजूद, स्थिति में सुधार मुश्किल है। अगर हम अब भी सचेत नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ियाँ माउंट एवरेस्ट की असली सुंदरता नहीं देख पाएंगी।
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माउंट एवरेस्ट पर बढ़ता कचरा: पर्यावरणीय संकट का संकेत

माउंट एवरेस्ट की चिंताजनक स्थिति

माउंट एवरेस्ट पर बढ़ता कचरा: पर्यावरणीय संकट का संकेत

माउंट एवरेस्ट पर लगा कचरे का अंबार Image Credit source: Social Media

माउंट एवरेस्ट, जो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है, साहस और रोमांच का प्रतीक रहा है। इसकी बर्फ से ढकी ऊंचाइयाँ और शांत वातावरण हर पर्वतारोही के सपनों में शामिल होते हैं। लेकिन अब यह पर्वत एक चिंताजनक सच्चाई का सामना कर रहा है। जो स्थान कभी स्वर्ग के समान था, वह अब कचरे के ढेर में बदलता जा रहा है।

हाल ही में एक वायरल वीडियो ने इस स्थिति को उजागर किया है, जिसमें माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप और उसके आस-पास के क्षेत्रों की दयनीय हालत दिखाई गई है। बर्फ और पत्थरों के बीच प्लास्टिक की बोतलें, खाने के पैकेट, डिब्बे, इस्तेमाल किए गए ऑक्सीजन सिलेंडर और फटे हुए टेंट बिखरे पड़े हैं। यह दृश्य न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि मानव की लापरवाही का भी संकेत है।

हर साल हजारों पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए आते हैं, जिनमें पेशेवर और शौकिया दोनों शामिल होते हैं। समस्या तब उत्पन्न होती है जब चढ़ाई के बाद या बीच में लौटते समय वे बड़ी मात्रा में कचरा छोड़ देते हैं। बोतलें, प्लास्टिक, खाने-पीने का सामान और खराब उपकरण बर्फ में दब जाते हैं या खुले में छोड़ दिए जाते हैं। समय के साथ, यह कचरा बर्फ के नीचे दब जाता है और मौसम बदलने पर फिर से बाहर आ जाता है।

कचरे का बढ़ता संकट

विशेषज्ञों का मानना है कि माउंट एवरेस्ट पर बढ़ती गंदगी का मुख्य कारण अनियंत्रित पर्यटन है। पिछले कुछ वर्षों में चढ़ाई के परमिट आसानी से मिल रहे हैं, जिससे कम प्रशिक्षित लोग भी पर्वत पर चढ़ने आ रहे हैं। ऐसे पर्वतारोही पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी नहीं समझते और कचरा प्रबंधन के नियमों का पालन नहीं करते।

इस समस्या को और बढ़ाता है एवरेस्ट का कठिन भूगोल और मौसम। अत्यधिक ठंड और ऊंचाई के कारण कचरा वापस लाना कठिन होता है। कई पर्वतारोही अपनी जान बचाने के लिए सामान छोड़ने को मजबूर होते हैं, लेकिन कुछ इसे सुविधा के रूप में भी देखते हैं। यह लापरवाही एक बड़ी पर्यावरणीय चुनौती बन गई है।

नेपाल सरकार और कुछ पर्यावरण संगठनों ने सफाई अभियानों का आयोजन किया है, लेकिन ये प्रयास समस्या की गंभीरता के सामने छोटे साबित हो रहे हैं। जब तक पर्वतारोहियों में जिम्मेदारी की भावना नहीं आएगी और नियमों को सख्ती से लागू नहीं किया जाएगा, तब तक स्थिति में सुधार मुश्किल है।

माउंट एवरेस्ट केवल एक पर्वत नहीं है, बल्कि यह प्रकृति की एक अनमोल धरोहर है। यदि हम अभी सचेत नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ियाँ इसे उसकी असली सुंदरता में नहीं देख पाएंगी। सख्त नियमों, सीमित परमिट और मानव सोच में बदलाव की आवश्यकता है। माउंट एवरेस्ट हमें यह याद दिला रहा है कि अगर हमने अब भी जिम्मेदारी नहीं दिखाई, तो यह भी हमारी लापरवाही के बोझ तले दब सकता है।