महू के सिद्दीकी परिवार की कहानी: धार्मिक प्रतिष्ठा से वित्तीय संकट तक

महू के सिद्दीकी परिवार की कहानी एक समय की धार्मिक प्रतिष्ठा से आज की वित्तीय जांच और नैतिकता के संकट में बदल गई है। जावेद अहमद सिद्दीकी, जो अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक हैं, पर धोखाधड़ी के आरोप हैं, जबकि उनके भाई पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। हाल ही में हुए एक कार विस्फोट ने इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बना दिया है। क्या यह परिवार अपनी नैतिकता को खो चुका है? यह कहानी न केवल एक परिवार की है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है।
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महू के सिद्दीकी परिवार की कहानी: धार्मिक प्रतिष्ठा से वित्तीय संकट तक

महू का सिद्दीकी परिवार: एक प्रतिष्ठा का पतन

मध्य प्रदेश के महू में एक परिवार, जो कभी सामाजिक सम्मान और धार्मिक नेतृत्व का प्रतीक था, अब कानूनी जांच और संदेह के घेरे में है। महू के कायस्थ मोहल्ले में स्थित 'मौलाना की बिल्डिंग' पहले प्रतिष्ठा का केंद्र हुआ करती थी, जहां मोहम्मद हम्माद सिद्दीकी, जो शहर के क़ाज़ी थे, निवास करते थे। लेकिन अब यह परिवार एक बड़े वित्तीय और सुरक्षा जांच का विषय बन चुका है।


जावेद अहमद सिद्दीकी पर आरोप

जावेद अहमद सिद्दीकी, जो अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक और चेयरमैन हैं, को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने समन भेजा है। उन पर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) और नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (NAAC) द्वारा उठाए गए धोखाधड़ी और अनियमितताओं के आरोपों की जांच चल रही है। उनके भाई हमूद अहमद सिद्दीकी पहले ही एक पुराने आर्थिक घोटाले में गिरफ्तार हो चुके हैं।


राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला

हालांकि, मामला यहीं खत्म नहीं होता। 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार विस्फोट ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के स्तर पर पहुंचा दिया है। इस विस्फोट में संदिग्ध डॉक्टर उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल गनई अल फलाह मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन से जुड़े पाए गए। इसके बाद अल फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े संस्थानों के खिलाफ गहन जांच शुरू की गई। केंद्र सरकार ने सभी वित्तीय रिकॉर्ड्स की फॉरेंसिक ऑडिट कराने के निर्देश दिए, जिसके बाद एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने दिल्ली और NCR में 25 ठिकानों पर छापे मारे।


शेल कंपनियों का खुलासा

सूत्रों के अनुसार, अल फलाह ग्रुप से जुड़ी नौ शेल कंपनियाँ एक ही पते पर पंजीकृत मिलीं, जिनमें कॉमन मोबाइल नंबर, ईमेल और साइनिंग अथॉरिटी समान थी। इसके अलावा, HR रिकॉर्ड्स गायब हैं और सैलरी बैंक से नहीं दी गई। जांच में गंभीर गड़बड़ियाँ सामने आई हैं। AIU ने भी अल फलाह यूनिवर्सिटी की सदस्यता रद्द कर दी है।


धार्मिक परिवार की नैतिकता पर सवाल

यह सवाल उठता है कि क्या एक धार्मिक रूप से सम्मानित परिवार आर्थिक महत्वाकांक्षा और संस्थागत विस्तार की दौड़ में नैतिकता से भटक गया? क्या शिक्षा संस्थान सिर्फ डिग्री देने का स्थान रह गए हैं, या कभी-कभी इनका इस्तेमाल संदिग्ध गतिविधियों के लिए भी होता है? क्या अल फलाह सिर्फ एक विश्वविद्यालय था— या एक ऐसा नेटवर्क जिसे धन, प्रभाव और पहचान की तलाश ने नैतिक मर्यादाओं से दूर कर दिया?


एक परिवार की कहानी का मोड़

पुलिस सूत्रों के अनुसार, 1990 के दशक में जब जावेद और हमूद ने अल फलाह इन्वेस्टमेंट कंपनी शुरू की, तो लोग इस पर भरोसा कर बैठे क्योंकि उनके पिता का सम्मान था। लेकिन बाजार ध्वस्त हुआ, निवेशक अपने पैसे मांगने लगे और परिवार की मुश्किलें बढ़ने लगीं। आर्थिक संकट और आपसी विवाद के कारण परिवार महू छोड़कर दिल्ली आ गया।


समाज पर प्रभाव

जब कोई परिवार धार्मिक नेतृत्व और नैतिकता की मिसाल बनकर उभरता है, तो उसकी हर गलती सामूहिक चेतना को प्रभावित करती है। शिक्षा, धर्म और सामाजिक सेवा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों का व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल होने का प्रभाव भावी पीढ़ियों पर भी पड़ता है।


आवश्यकता पारदर्शिता की

देश में शिक्षा और धार्मिक संस्थाओं की साख को बचाने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और मजबूत नियामक व्यवस्था की आवश्यकता है। यह कहानी सिर्फ महू के एक परिवार की नहीं, बल्कि एक चेतावनी है— सम्मान मिलने में समय लगता है, पर खोने में एक घटना ही काफी होती है।