महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई को मिली हरी झंडी, चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश

लोकपाल ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश फॉर क्वेरी मामले में सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश दिया है। सीबीआई को चार हफ्तों में आरोपपत्र पेश करना होगा। महुआ की लोकसभा सदस्यता पहले रद्द की गई थी, लेकिन वे 2024 के चुनाव में फिर से जीतकर आई हैं। जानें इस मामले में क्या हुआ और महुआ ने किन आरोपों का सामना किया है।
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महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई को मिली हरी झंडी, चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश

महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ीं

महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई को मिली हरी झंडी, चार्जशीट दाखिल करने का निर्देश

महुआ मोइत्रा.

लोकपाल ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश फॉर क्वेरी मामले में सीबीआई को चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति दे दी है। सीबीआई को अगले चार हफ्तों में संबंधित अदालत में चार्जशीट पेश करनी होगी, और इसकी एक प्रति लोकपाल अदालत में भी जमा करनी होगी।

इस मामले में महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता पहले रद्द की जा चुकी थी, लेकिन 2024 के चुनाव में वे फिर से संसद में पहुंची हैं।

लोकपाल का निर्देश

लोकपाल ने कहा है कि ‘लोकपाल अधिनियम, 2013 की धारा 20(7) और धारा 23(1) के तहत, सीबीआई को चार हफ्तों के भीतर आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करनी होगी। इसके साथ ही, चार्जशीट की एक प्रति लोकपाल कार्यालय में भी जमा करनी होगी।’

हालांकि, चार्जशीट दाखिल होने के बाद ही कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी। लोकपाल ने स्पष्ट किया है कि ‘चार्जशीट दाखिल होने के बाद ही सीबीआई के अन्य आवेदन पर विचार किया जाएगा।’

पिछले वर्ष, लोकपाल के आदेश पर सीबीआई ने महुआ के खिलाफ जांच शुरू की थी, जिसमें उन्हें छह महीने के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर, सीबीआई ने लोकपाल से महुआ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मांगी, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।

महुआ मोइत्रा के आरोप

हाल ही में, कृष्णानगर के सांसद ने आरोप लगाया था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मामले से संबंधित संवेदनशील दस्तावेज मीडिया को दिखाए थे। इसी आधार पर, महुआ ने लोकपाल की सुनवाई पर रोक लगाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

हालांकि, न्यायमूर्ति अनिल खेत्रपाल और न्यायमूर्ति हरीश बैद्यनाथ शंकर की खंडपीठ ने कहा कि इस चरण में कोई रोक नहीं लगाई जा सकती, और तृणमूल सांसद की याचिका खारिज कर दी गई।