महिलाओं के अधिकारों का जश्न: समानता दिवस पर विशेष

महिलाओं के समानता दिवस का महत्व
26 अगस्त को विश्वभर में महिलाओं के समानता दिवस का आयोजन किया जाता है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों, उनके संघर्षों, साहस और समाज में उनके योगदान को सराहने का है। पिछले कुछ वर्षों में, महिलाओं की भूमिका पर्दे पर काफी बदल गई है। अब अभिनेत्रियाँ केवल नायिका या सामान्य भूमिकाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उन्हें मजबूत, आत्मनिर्भर और समाज में बदलाव लाने वाली भूमिकाओं में देखा जा रहा है।
महिलाओं ने उठाई आवाज़
इन अभिनेत्रियों ने खुलकर बात की।
हाल के वर्षों में, कई अभिनेत्रियों ने कार्य और वेतन में समानता के मुद्दे पर खुलकर अपनी आवाज़ उठाई है। दीपिका पादुकोण ने खुद कहा था कि उन्होंने अपने पति रणवीर सिंह के समान फीस की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने कुछ फिल्मों को भी ठुकरा दिया। वहीं, सोनम कपूर ने कहा कि असमानता के खिलाफ खड़ा होना आसान नहीं है। कई बार उन्हें इसके लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कंगना रनौत के अनुसार, उनके पुरुष सह-कलाकारों को उनकी तुलना में कई गुना अधिक फीस मिलती है। इसके अलावा, तापसी पन्नू, प्रियंका चोपड़ा, कोंकणा सेन शर्मा, ताहिरा कश्यप और नुसरत भरुचा जैसी कई अभिनेत्रियों ने समानता के मुद्दे पर खुलकर बात की है।
निर्देशकों और निर्माताओं के रूप में महिलाओं की शक्ति
महिलाओं की शक्ति निर्देशक और निर्माता बनकर।
यह बदलाव केवल अभिनेत्रियों तक सीमित नहीं है। महिलाएं अब बॉलीवुड में निर्देशक और निर्माता के रूप में भी अपनी ताकत दिखा रही हैं। ज़ोया अख्तर, मेघना गुलजार, किरण राव, गौरी शिंदे और नंदिता दास जैसे निर्देशकों की फिल्मों में महिलाएं कहानी की मुख्य धारा हैं। इसी तरह, दीपिका, प्रियंका, अनुष्का शर्मा, ऋचा चड्ढा, कृति सेनन और गुनीत मोंगा जैसी हस्तियाँ निर्माता बनकर विभिन्न प्रकार की कहानियाँ प्रस्तुत कर रही हैं।
महिलाओं की समानता और सशक्तिकरण पर आधारित फिल्में
महिलाओं की समानता और सशक्तिकरण पर आधारित फिल्में।
कहानी: विद्या बालन कोलकाता में अपने खोए हुए पति की तलाश करती हैं। यह फिल्म दिखाती है कि महिलाएं कठिन परिस्थितियों में भी साहस दिखा सकती हैं।
इंग्लिश विंग्लिश: इस फिल्म में श्रीदेवी ने शशि नाम की महिला की भूमिका निभाई, जो अंग्रेजी बोलना सीखकर आत्मविश्वास और सम्मान प्राप्त करती है।
क्वीन: कंगना रनौत ने एक युवा महिला की भूमिका निभाई, जो दिल टूटने के बाद अकेले विदेश जाती है। यह फिल्म दिखाती है कि महिलाएं अपने निर्णय खुद ले सकती हैं।
पिंक: तापसी पन्नू और अमिताभ बच्चन की इस फिल्म में महिलाओं की सहमति का महत्व बताया गया है। फिल्म का संदेश था - 'नहीं का मतलब नहीं होता।'
लिपस्टिक अंडर माय बुर्का: चार महिलाएं अपने सपनों और स्वतंत्रता के लिए एक रूढ़िवादी समाज के खिलाफ लड़ाई करती हैं। यह फिल्म महिलाओं की स्वतंत्रता और अपनी पहचान बनाने की कहानी है।
दंगल: फोगट बहनों की कहानी, जिन्होंने कुश्ती में देश का नाम रोशन किया। यह फिल्म महिलाओं की शक्ति और मेहनत का उदाहरण है।
थप्पड़: तापसी पन्नू ने एक ऐसी महिला की भूमिका निभाई, जो घरेलू हिंसा को गलत मानती है और महिलाओं के अधिकारों और गरिमा के लिए खड़ी होती है।
छपाक: दीपिका पादुकोण ने मालती की भूमिका निभाई, जो एक एसिड हमले के बाद न्याय और सम्मान के लिए लड़ती है।
गुंजन सक्सेना - द कारगिल गर्ल: जान्हवी कपूर ने भारत की पहली महिला लड़ाकू पायलट गुंजन सक्सेना की भूमिका निभाई। यह फिल्म दिखाती है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के समान मेहनत कर सकती हैं।
शर्माजी की बेटी: यह फिल्म तीन अलग-अलग उम्र की महिलाओं के जीवन को दर्शाती है। उनकी नौकरी, घरेलू समस्याएँ और सपने कहानी में प्रस्तुत किए गए हैं।
मिसेज: यह फिल्म एक नई शादीशुदा महिला की कहानी है। वह पुरानी परंपराओं और पुरुष-प्रधान सोच के बीच अपने घर और समाज में बदलाव लाने की कोशिश करती है। पिछले साल रिलीज़ हुई फिल्म 'लापता लेडीज' भी महिलाओं की समानता पर बात करती है।
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