महिलाओं की आवाज़: News9 Global Summit 2025 में नेतृत्व पर चर्चा

News9 Global Summit 2025 में महिलाओं के नेतृत्व पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई, जिसमें चार प्रभावशाली महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। डॉ. सरिता ऐलावत ने समान अवसर की आवश्यकता पर जोर दिया, जबकि वैनेसा बाखोफ़र ने फुल-टाइम काम करने की आवश्यकता बताई। कैप्टन ज़ोया अग्रवाल ने अपने करियर के संघर्षों को साझा किया और कहा कि असली बदलाव सोच से शुरू होता है। एवेलिन डी ग्रुइटर ने कंपनियों की संस्कृति में बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया। इस समिट में महिलाओं की आवाज़ को मजबूती से प्रस्तुत किया गया।
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महिलाओं की आवाज़: News9 Global Summit 2025 में नेतृत्व पर चर्चा

महिलाओं के नेतृत्व पर चर्चा का आगाज़

महिलाओं की आवाज़: News9 Global Summit 2025 में नेतृत्व पर चर्चा

न्यूज़9 ग्लोबल समिट 2025

जर्मनी में गुरुवार को News9 Global Summit 2025 का दूसरा संस्करण आरंभ हुआ। इस अवसर पर 'Strength to Strength: Women in Leadership' विषय पर चर्चा आयोजित की गई, जिसमें भारत और जर्मनी की चार प्रमुख महिलाओं ने अपने विचार साझा किए। इनमें कैप्टन ज़ोया अग्रवाल (वरिष्ठ कमांडर, एयर इंडिया), डॉ. सरिता ऐलावत (सह-संस्थापक, Bot Lab Dynamics), वैनेसा बाखोफ़र (प्रबंध निदेशक, Mark & Schneider GmbH) और एवेलिन डी ग्रुइटर (प्रबंध निदेशक, जर्मन महिला उद्यमी संघ) शामिल थीं।

डॉ. सरिता ऐलावत का दृष्टिकोण

डॉ. सरिता ने कहा कि केवल बोर्डरूम में महिलाओं की उपस्थिति पर्याप्त नहीं है; उन्हें समान अवसर और निर्णय लेने की शक्ति भी मिलनी चाहिए। उन्होंने बताया कि उनका स्टार्टअप Bot Lab Dynamics, IIT दिल्ली से जुड़ा है और यह दुनिया की प्रमुख ड्रोन कंपनियों में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टीम में महिलाओं की संख्या 10% से कम है, और जब तक यह संख्या 50% नहीं होगी, तब तक असली प्रतिनिधित्व संभव नहीं है।

वैनेसा बाखोफ़र की बातें

वैनेसा ने बताया कि उनके क्षेत्र में 75% महिलाएं कार्यरत हैं, लेकिन उनमें से आधी पार्ट-टाइम हैं। वर्तमान में लगभग 40,000 नौकरियां खाली हैं, और अगले दशक में यह संख्या एक लाख तक पहुंच सकती है। उन्होंने महिलाओं के लिए फुल-टाइम काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया और लचीले कार्य मॉडल और भरोसेमंद डे-केयर की मांग की।

कैप्टन ज़ोया अग्रवाल का अनुभव

कैप्टन ज़ोया ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की, तो वे अपनी संस्था में सबसे युवा पायलट थीं। उन्हें अपने पुरुष साथियों से 200% अधिक मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसा केवल महिलाओं के साथ ही क्यों होता है। उन्होंने कहा कि असली बदलाव सोच से शुरू होता है और हमें अपने बच्चों में लिंग भेदभाव को समाप्त करना होगा।

एवेलिन डी ग्रुइटर की राय

एवेलिन ने बताया कि उनका संगठन 1950 के दशक में स्थापित हुआ, जब महिलाओं को काम करने या बैंक खाता खोलने के लिए पति की अनुमति लेनी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि बहुत कुछ बदल चुका है, लेकिन अभी भी कई बाधाएं बनी हुई हैं। केवल बोर्ड में महिलाओं की उपस्थिति पर्याप्त नहीं है; कंपनियों की संस्कृति में भी बदलाव आवश्यक है।