महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण में स्वयं सहायता समूहों की भूमिका

महिलाओं के साथ संवाद
केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार को लाखों स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिला सदस्यों के साथ ऑनलाइन बातचीत की। उन्होंने उन्हें प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।
सकारात्मक परिवर्तन की चर्चा
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस संबंध में एक बयान जारी किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आई महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के माध्यम से अपने जीवन में आए सकारात्मक बदलावों पर प्रकाश डाला।
आर्थिक और सामाजिक स्थिरता
महिलाओं ने बताया कि इस मिशन ने न केवल उन्हें आर्थिक स्थिरता दी है, बल्कि उनकी सामाजिक स्थिति को भी मजबूत किया है। चौहान ने कहा कि महिलाएं शक्ति और रचनात्मकता का प्रतीक हैं, और हथकरघा आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, जिसने भारत के अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्थानीय कला और संस्कृति का पुनरुद्धार
चौहान ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की भूमिका की सराहना की, जो स्थानीय कला और संस्कृति को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि उनकी रचनाएं भारत की सांस्कृतिक पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं और लोक परंपराओं को व्यक्त करने में सहायक हैं।
मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर ध्यान
उन्होंने महिलाओं द्वारा उठाई गई मार्केटिंग और ब्रांडिंग से संबंधित चिंताओं को स्वीकार किया और उन्हें डिज़ाइन-केंद्रित प्रशिक्षण सहित ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया। चौहान ने स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए उच्च उत्पाद गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।
लखपति दीदी का जश्न
चौहान ने वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने वाली महिलाओं की बढ़ती संख्या का जश्न मनाते हुए बताया कि मिशन के तहत 1.5 करोड़ से अधिक महिलाएं 'लखपति दीदी' बन चुकी हैं, जो वार्षिक एक लाख रुपये से अधिक कमाती हैं। उन्होंने कहा, 'सरकार दो करोड़ महिलाओं को लखपति बनाने की दिशा में काम कर रही है और जल्द ही तीन करोड़ तक पहुंचने का लक्ष्य है।'