महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने पर ठाकरे बंधुओं का समर्थन और विरोध

महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पुनः शामिल करने के निर्णय पर उद्धव और राज ठाकरे ने एकजुटता दिखाई। हालांकि, उद्धव सेना ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के समर्थन से खुद को अलग कर लिया है। संजय राउत ने स्पष्ट किया कि उनका विरोध प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को अनिवार्य करने तक सीमित है। स्टालिन ने ठाकरे बंधुओं की एकता का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी थोपे जाने के खिलाफ संघर्ष अब महाराष्ट्र में भी फैल रहा है। इस राजनीतिक विवाद के सभी पहलुओं को जानें।
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महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने पर ठाकरे बंधुओं का समर्थन और विरोध

ठाकरे बंधुओं का एकजुटता और हिंदी पर विवाद

हाल ही में, महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पुनः शामिल करने के निर्णय पर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक साथ जश्न मनाया। लेकिन अब, उद्धव सेना ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के समर्थन से खुद को अलग कर लिया है, जिसमें स्टालिन ने हिंदी के खिलाफ ठाकरे बंधुओं का समर्थन किया था। उद्धव सेना का कहना है कि उनका विरोध केवल प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी को अनिवार्य करने तक सीमित है।


संजय राउत का बयान

उद्धव सेना के सांसद संजय राउत ने स्पष्ट किया कि स्टालिन का हिंदी के खिलाफ रुख यह नहीं दर्शाता कि वे हिंदी नहीं बोलेंगे। उन्होंने कहा, 'हम हिंदी बोलते हैं, लेकिन प्राथमिक विद्यालयों में इसे थोपने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हमारी लड़ाई यहीं तक सीमित है।' राउत ने यह भी कहा कि ठाकरे बंधुओं का विरोध केवल प्राथमिक शिक्षा में हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है।


स्टालिन का समर्थन

उद्धव और राज ठाकरे के एक मंच पर आने के कुछ घंटों बाद, स्टालिन ने इस मुद्दे पर चचेरे भाइयों के रुख का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि हिंदी थोपे जाने के खिलाफ संघर्ष अब महाराष्ट्र में भी फैल रहा है। स्टालिन ने ठाकरे बंधुओं की एकता का स्वागत करते हुए कहा कि यह संघर्ष पीढ़ियों से चल रहा है।