महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अजित पवार का नया निर्णय

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी जोरों पर है। 2 दिसंबर को होने वाले चुनावों के लिए अजित पवार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिससे रायगढ़ में गठबंधन में दरार आने की संभावना बढ़ गई है। बैठक में स्थानीय नेताओं ने शिवसेना के साथ गठबंधन न करने की बात कही है। जानें इस राजनीतिक हलचल के पीछे की कहानी और आगे क्या हो सकता है।
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महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अजित पवार का नया निर्णय

महाराष्ट्र में चुनावी हलचल

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए अजित पवार का नया निर्णय

एकनाथ शिंदे और अजित पवार.

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 246 नगर पालिकाओं और 42 नगर पंचायतों के लिए मतदान 2 दिसंबर को होगा, जबकि परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। आचार संहिता लागू होने के बाद राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आई है। इस दौरान गठबंधन और मोर्चों की संभावनाओं पर चर्चा चल रही है। इसी बीच, अजित पवार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिससे रायगढ़ में गठबंधन में दरार आने की संभावना बढ़ गई है।

रायगढ़ जिले में स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। आज जिले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की समीक्षा बैठक आयोजित की गई, जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार और सांसद सुनील तटकरे शामिल हुए। बैठक में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ गठबंधन के मुद्दे पर चर्चा हुई। सभी पदाधिकारियों ने रायगढ़ में शिवसेना के साथ गठबंधन न करने की बात कही।

बीजेपी के साथ गठबंधन की सलाह

स्थानीय नेताओं ने बैठक में सुझाव दिया कि उन्हें जिले में बीजेपी के साथ गठबंधन करना चाहिए, न कि शिवसेना के साथ। इस पर अजित पवार ने स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं कि किसके साथ गठबंधन किया जाए। अब सभी की नजर इस पर है कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।

रायगढ़ जिले में शिवसेना नेता भरत गोगावले और एनसीपी नेता सुनाली तटकरे एक-दूसरे के राजनीतिक प्रतिकूल हैं। दोनों नेता अक्सर सभाओं और रैलियों में एक-दूसरे की आलोचना करते हैं। स्थानीय निकाय चुनाव उनके लिए अपनी स्थिति मजबूत करने का एक बड़ा अवसर है। हाल के दिनों में तटकरे और गोगावले के बीच तीखी बहस देखने को मिली है।

गोगावले का गठबंधन प्रस्ताव

गोगावले ने तटकरे के सामने गठबंधन का प्रस्ताव रखा था, जिसमें सीटों का बंटवारा विधायकों की संख्या के अनुपात में करने का सुझाव दिया गया था। तटकरे ने इस प्रस्ताव का मजाक उड़ाया और शिवसेना के साथ गठबंधन न करने का संकेत देते हुए कहा कि अब हम स्वतंत्र हैं।