महाराष्ट्र में भाषा विवाद: राज्यपाल का निवेश पर प्रभाव का चेतावनी

महाराष्ट्र में भाषा विवाद के बीच राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने चेतावनी दी है कि हिंसा के कारण निवेश में कमी आ सकती है। उन्होंने अपनी मातृभाषा का सम्मान करने और अधिक भाषाएँ सीखने की आवश्यकता पर जोर दिया। यह बयान हाल की हिंसक घटनाओं के संदर्भ में आया है, जो गैर-मराठी भाषियों के खिलाफ हुई हैं। जानें इस मुद्दे पर राज्यपाल का क्या कहना है और इसका राज्य के विकास पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
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महाराष्ट्र में भाषा विवाद: राज्यपाल का निवेश पर प्रभाव का चेतावनी

राज्यपाल का बयान

महाराष्ट्र में चल रहे भाषा विवाद के संदर्भ में, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने चेतावनी दी है कि भाषा के कारण होने वाली हिंसा राज्य में निवेश को प्रभावित कर सकती है, जिससे दीर्घकालिक नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि सभी मातृभाषाओं का सम्मान होना चाहिए। अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए, राधाकृष्णन ने तमिलनाडु में सांसद रहते हुए एक घटना का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने भाषा के कारण हिंसा की एक घटना देखी थी। उन्होंने बताया कि जब वह तमिलनाडु में सांसद थे, तब एक बार हाईवे पर उन्होंने कुछ लोगों को किसी को पीटते हुए देखा। उन्होंने तुरंत अपने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा और खुद गाड़ी से बाहर निकल गए। उन्हें देखकर, जो लोग पीट रहे थे, वे भाग गए और जो लोग पिट रहे थे, वे वहीं खड़े रहे। उन्होंने उनसे पूछा कि समस्या क्या है, तो वे हिंदी में बता रहे थे और वह केवल मार-मार समझ पा रहे थे। उन्होंने होटल के मालिक को फोन किया, जिसने बताया कि वे तमिल नहीं जानते और उन्हें सिर्फ तमिल में बात करने के लिए कहा गया था। 


निवेशकों के लिए चेतावनी

राज्यपाल ने कहा, "अगर आप आकर मुझे पीटें, तो क्या मैं तुरंत मराठी में बात कर सकता हूँ? यह नामुमकिन है।" उन्होंने उन लोगों से माफी मांगी और उनके खाने का खर्च उठाया। इस घटना को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की नफरत के चलते निवेशक राज्य में नहीं आएंगे, जिससे महाराष्ट्र को दीर्घकालिक नुकसान होगा। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर हम इस तरह की नफरत फैलाते हैं, तो कौन सा निवेशक आएगा? उन्होंने कहा कि कोई भी उद्योग नहीं आएगा, और इससे महाराष्ट्र को नुकसान होगा। 


भाषाई बाधाएँ

राज्यपाल ने यह भी कहा कि वह हिंदी न तो बोल पाते हैं और न ही समझ पाते हैं, जो उनके लिए एक बाधा है। उन्होंने कहा, "हमें अधिक से अधिक भाषाएँ सीखनी चाहिए और अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए, इसमें कोई समझौता नहीं है।" यह टिप्पणी राज्य में गैर-मराठी भाषियों के खिलाफ हाल की हिंसा की घटनाओं के बीच आई है, विशेषकर उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं द्वारा।