महाराष्ट्र महानगर पालिका चुनाव: महायुति में टूट और नए राजनीतिक समीकरण
महानगर पालिका चुनावों में महायुति का टूटना
एकनाथ शिंदे, अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र में आगामी महानगर पालिका चुनावों से पहले बीजेपी और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच महायुति में कई प्रमुख शहरों में दरार आ गई है, जिससे राज्य की राजनीतिक स्थिति में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है। विभिन्न शहरों में नए गठबंधन और चुनावी समीकरण उभरकर सामने आ रहे हैं। रामदास अठावले की RPI भी महायुति से अलग होकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और उसने 39 उम्मीदवारों की सूची भी जारी की है।
महानगरपालिकाओं में गठबंधन का टूटना
- मीरा-भायंदर
- धुले
- नवी मुंबई
- पुणे
- नासिक
- नांदेड़
- छत्रपति संभाजीनगर
- अमरावती
- अकोला
- मालेगांव
- अहिल्यानगर
शहरों की राजनीतिक स्थिति
अहिल्यानगर में बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट का गठबंधन टूट चुका है। अब बीजेपी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के बीच गठबंधन की संभावना है, जबकि शिवसेना अकेले चुनाव में भाग लेगी।
नासिक में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। यहां अजित पवार गुट और शिवसेना शिंदे गुट एक साथ चुनाव लड़ेंगे, जबकि बीजेपी अकेले चुनाव में उतरेगी। नासिक महानगरपालिका में कुल 122 पार्षद सीटें हैं।
धुले में भी बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन टूटने के बाद अब शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी (अजित पवार) के बीच गठबंधन लगभग तय है। सूत्रों के अनुसार, शिवसेना 60 सीटें और एनसीपी (अजित पवार) 40 सीटें लेगी। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को छोड़कर यह गठबंधन लागू रहेगा। आधिकारिक घोषणा आज शाम तक होने की उम्मीद है।
जलगांव में महायुति का गठन हुआ है, लेकिन यह काफी संघर्ष के बाद संभव हुआ है।
सीट बंटवारा इस प्रकार है…
- बीजेपी 42 सीटें
- शिवसेना (शिंदे गुट) 23 सीटें
- एनसीपी (अजित पवार) 6 सीटें
सांगली मिरज कुपवाड: यहां शिवसेना शिंदे गुट को पर्याप्त सीटें नहीं मिलने के कारण पार्टी ने सभी 78 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है।
कोल्हापुर: राज्य में केवल कोल्हापुर में महायुति पूरी तरह सफल मानी जा रही है।
- बीजेपी 36 सीटें
- शिवसेना (शिंदे गुट) 30 सीटें
- एनसीपी (अजित पवार) 15 सीटें
इचलकरंजी में भी महायुति बनी है।
- बीजेपी 52 सीटें
- शिवसेना (शिंदे गुट) 11 सीटें
- एनसीपी (अजित पवार) 2 सीटें
लगातार टूटते और बनते गठबंधनों से स्पष्ट है कि स्थानीय समीकरणों और सीट बंटवारे ने महायुति की एकता को गंभीर झटका दिया है। कई शहरों में शिवसेना शिंदे गुट और बीजेपी अलग-अलग रास्ते पर चल रहे हैं, जबकि एनसीपी (अजित पवार) नए सत्ता संतुलन की महत्वपूर्ण कड़ी बनकर उभर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बिखराव मतदाताओं के निर्णय को किस दिशा में प्रभावित करता है और कौन सा नया गठबंधन सत्ता की कुर्सी तक पहुंचता है।
आठवले का अलग चुनाव लड़ना
रामदास आठवले की RPI भी महायुति से अलग चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने 39 उम्मीदवारों की सूची जारी की है। महायुति में उचित सीटें न मिलने के कारण आठवले ने यह कदम उठाया है। उनके अलग चुनाव लड़ने से महायुति में दलित वोटों में कमी आ सकती है।
