महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने पुणे-लोनावाला रेलवे परियोजना को दी मंजूरी

महाराष्ट्र राज्य मंत्रिमंडल ने पुणे-लोनावाला उपनगरीय रेलवे परियोजना को मंजूरी दी है, जिसमें राज्य सरकार की वित्तीय भागीदारी 2,550 करोड़ रुपये होगी। इस परियोजना का उद्देश्य पुणे और मुंबई के बीच यातायात को सुगम बनाना है। इसके साथ ही, ओबीसी समुदाय के मुद्दों के समाधान के लिए एक कैबिनेट उपसमिति का गठन किया गया है। यह कदम सरकार के राहत प्रयासों का संकेत है।
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महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने पुणे-लोनावाला रेलवे परियोजना को दी मंजूरी

पुणे-लोनावाला रेलवे परियोजना का वित्तीय समर्थन

महाराष्ट्र राज्य मंत्रिमंडल ने पुणे-लोनावाला उपनगरीय रेलवे की तीसरी और चौथी लाइन परियोजना में राज्य सरकार की वित्तीय भागीदारी को स्वीकृति प्रदान की है। उपमुख्यमंत्री और पुणे जिले के संरक्षक मंत्री, अजित पवार के प्रयासों से यह लंबे समय से लंबित मुद्दा अब सुलझ गया है। मुंबई रेलवे विकास निगम (एमआरवीसी) द्वारा प्रस्तुत इस परियोजना की कुल लागत लगभग 5,100 करोड़ रुपये है, जिसमें भूमि अधिग्रहण का खर्च भी शामिल है। वित्तीय जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार के बीच 50:50 के अनुपात में साझा की जाएगी, जिसमें महाराष्ट्र का हिस्सा 2,550 करोड़ रुपये होगा। 


स्थानीय निकायों का योगदान

इस 2,550 करोड़ रुपये में स्थानीय निकायों का योगदान इस प्रकार निर्धारित किया गया है: पुणे नगर निगम (20%) - 510 करोड़ रुपये, पिंपरी-चिंचवाड़ नगर निगम (20%) - 510 करोड़ रुपये, और पीएमआरडीए (30%) - 765 करोड़ रुपये। शेष राशि राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। इस निर्णय से पुणे-लोनावाला उपनगरीय रेल सेवाओं पर यात्री भार को कम करने और उनकी क्षमता बढ़ाने की उम्मीद है। इसके अलावा, यह पुणे और मुंबई के बीच संपर्क को और अधिक सुगम और तेज़ बनाने में मदद करेगा।


मराठा आरक्षण पर कैबिनेट उपसमिति का गठन

इस बीच, महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने मराठा आरक्षण के फैसले के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के मुद्दों के समाधान के लिए छह सदस्यीय कैबिनेट उपसमिति बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें प्रत्येक पार्टी से दो मंत्री शामिल होंगे। यह कदम ओबीसी समुदाय की चिंताओं को दूर करने के लिए उठाया गया है, जो सरकार के राहत प्रयासों का संकेत है। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे सभी मराठों को कुनबी श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जो ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आती है, जिससे समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण का लाभ मिल सके।