महाराष्ट्र ATS ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुबैर हंगरगेकर को फिर से हिरासत में लिया
जुबैर हंगरगेकर की गिरफ्तारी और कस्टडी
महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुबैर हंगरगेकर को फिर से अपनी कस्टडी में लिया है। ATS ने अदालत को सूचित किया कि वह उसके टेलीग्राम अकाउंट से मिले अफगानिस्तान और हांगकांग के IP एड्रेस की जांच कर रही है।
बुधवार को, ATS ने दूसरी बार हंगरगेकर की कस्टडी प्राप्त की, जिसे अक्टूबर में अल कायदा और 'अल कायदा इन द इंडियन सबकॉन्टिनेंट' जैसे प्रतिबंधित संगठनों से संबंध रखने और कट्टरपंथी गतिविधियों में संलिप्तता के संदेह में गिरफ्तार किया गया था।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत स्पेशल कोर्ट ने उसे 3 जनवरी तक ATS की कस्टडी में भेजने का आदेश दिया है।
जांच और हिरासत की प्रक्रिया
एक अधिकारी ने बताया कि, 'एटीएस ने बुधवार को हंगरगेकर को फिर से हिरासत में लिया। अदालत ने उसे तीन जनवरी तक एटीएस की हिरासत में भेज दिया है।' UAPA के तहत, पुलिस आतंकवाद से संबंधित मामलों में गिरफ्तार व्यक्तियों को अदालत की अनुमति से अधिकतम 30 दिन तक पूछताछ के लिए हिरासत में रख सकती है।
जुबैर (37) को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से कथित संबंधों के आरोप में 27 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। अधिकारी ने कहा, 'गिरफ्तारी के बाद अदालत ने जुबैर को 18 दिनों के लिए एटीएस की हिरासत में भेजा था।'
इसके बाद, पिछले महीने जांच एजेंसी ने उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया, लेकिन पुलिस हिरासत का अधिकार भी सुरक्षित रखा। इसलिए, एटीएस की हिरासत की शेष अवधि अभी भी बाकी थी।
जुबैर के फोन से मिले सबूत
एटीएस ने पहले अदालत को बताया था कि जांच के दौरान जुबैर के पुराने फोन में एक पाकिस्तानी फोन नंबर मिला है। इसके अलावा, एटीएस ने पुणे की एक अदालत को सूचित किया था कि जुबैर कथित तौर पर कोंढवा क्षेत्र में 'आक्रामक' तरीके से धार्मिक प्रवचन दिया करता था।
