महाभारत के ये 6 पात्र आज भी जीवित हैं: जानें कौन हैं वे

महाभारत, हिन्दू धर्म का एक प्राचीन ग्रंथ, न केवल युद्ध की कहानी सुनाता है बल्कि कई पात्रों की जीवितता की भी चर्चा करता है। इस लेख में हम उन 6 पात्रों के बारे में जानेंगे, जिन्हें आज भी जीवित माना जाता है। हनुमानजी, महर्षि वेद व्यास, और जामवन्त जैसे पात्रों की कहानियाँ न केवल रोचक हैं, बल्कि हमें उनके अद्वितीय गुणों और योगदानों के बारे में भी बताते हैं। जानें इन पात्रों की विशेषताएँ और उनकी महत्ता।
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महाभारत के ये 6 पात्र आज भी जीवित हैं: जानें कौन हैं वे

महाभारत: एक प्राचीन ग्रंथ

नई दिल्ली- महाभारत को हिन्दू धर्म का सबसे प्राचीन ग्रंथ माना जाता है। पांडवों और कौरवों के बीच की यह लड़ाई जीवन की कई महत्वपूर्ण सीख देती है। गीता के उपदेश भी हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं। महाभारत में कई वीर योद्धा थे, जिन्होंने इस युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी। लेकिन कुछ ऐसे भी योद्धा हैं, जिन्हें आज भी जीवित माना जाता है। आइए, जानते हैं उनके बारे में।


हनुमानजी

महाबलशाली हनुमानजी की कृपा से ही श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। उनका प्रभाव चारों युगों में विद्यमान है। त्रेतायुग में वे श्रीराम के साथ थे और द्वापर में श्रीकृष्ण के समय भी। महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय में हनुमानजी का योगदान महत्वपूर्ण था। अर्जुन और श्रीकृष्ण की रक्षा का वचन देकर वे उनके रथ के ध्वज पर विराजमान हुए थे।


महर्षि वेद व्यास

महर्षि वेद व्यास को आज भी जीवित माना जाता है। वे मत्स्य कन्या सत्यवती के पुत्र थे और धृतराष्ट्र, पांडु तथा विदुर के पिता माने जाते हैं। इन्हें वेदों का विभाजन करने के लिए जाना जाता है और कहा जाता है कि वे कलयुग के अंत तक जीवित रहेंगे।


महर्षि परशुराम

महर्षि परशुराम रामायण के काल से पहले से जीवित हैं। इनके पिता का नाम जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था। रामायण में इनका उल्लेख तब होता है जब श्रीराम शिव का धनुष तोड़ते हैं। महाभारत में भीष्म पितामाह के गुरु के रूप में इनका उल्लेख मिलता है।


अश्वात्थामा

अश्वात्थामा, जो द्रोणाचार्य के पुत्र हैं, को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा श्रापित किया गया था। कहा जाता है कि वे 3 हजार वर्षों तक भटकते रहेंगे और कलयुग के अंत में कल्कि अवतार के साथ अधर्म के खिलाफ लड़ेंगे।


महर्षि दुर्वासा

दुर्वासा ऋषि अपने क्रोध के लिए प्रसिद्ध हैं। महाभारत काल में कुंति ने इन्हें अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था। माना जाता है कि इन्हें भी चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है।


जामवन्त

जामवन्त त्रेतायुग में श्रीराम के साथ थे और द्वापर युग में श्रीकृष्ण के ससुर बने। श्रीकृष्ण को स्यमंतक मणि के लिए जामवन्त से युद्ध करना पड़ा था। जामवन्त को चिरंजीवी रहने का वरदान प्राप्त है।