महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए एआई तकनीक का उपयोग

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए अत्याधुनिक एआई तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। आभासी रेखाओं और विशेष कैमरों के माध्यम से श्रद्धालुओं की गिनती की जा रही है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि एक ही व्यक्ति की गिनती बार-बार न हो। इस प्रक्रिया में मोबाइल कंपनियों के डेटा और अन्य तकनीकों का भी सहारा लिया जा रहा है। जानें इस प्रक्रिया के पीछे की तकनीक और इसके लाभ।
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महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए एआई तकनीक का उपयोग

महाकुंभ में एआई का योगदान

जागरण संवाददाता, महाकुंभनगर। यदि आप महाकुंभ में स्नान करने आए हैं, तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक आभासी रेखा (वर्चुअल लाइन) पार करते ही आपकी गिनती शुरू हो जाती है। यह सब तकनीक के सहयोग से संभव हो रहा है।


इस प्रक्रिया में मुख्य रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग किया जा रहा है।


महाकुंभनगर में आने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर आभासी रेखाएं खींची गई हैं, और एआई कैमरों को इस तरह से स्थापित किया गया है कि जैसे ही श्रद्धालु रेखा पार करते हैं, उनकी गिनती हो जाती है। यह विशेष कैमरा केवल श्रद्धालुओं की गिनती नहीं करता, बल्कि उनकी तस्वीरें भी अपने डेटाबेस में संचित कर लेता है।


इससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि किसी व्यक्ति की तस्वीर किसी अन्य कैमरे में कैप्चर होती है, तो सॉफ्टवेयर उसे पहचान लेगा और एक ही तस्वीर की अलग-अलग गिनती को अलग कर देगा, जिससे गणना अधिक सटीक हो सके।



अन्य तकनीकों का उपयोग


गणना के लिए अन्य तकनीकों का भी सहारा लिया जा रहा है। मोबाइल कंपनियों के बीटीएस (बेस ट्रांसीवर स्टेशन) से डेटा एकत्र किया जा रहा है, और इन आंकड़ों का संयोजन सही अनुमान के लिए किया जा रहा है।


महाकुंभ में स्थापित इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर में सभी डेटा का संकलन किया जाता है, जिससे अंतिम संख्या निर्धारित की जाती है। इस बार महाकुंभ में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। अब तक 17 दिनों में लगभग 28 करोड़ श्रद्धालु आ चुके हैं, जिसमें मौनी अमावस्या के दो दिनों में लगभग 13 करोड़ श्रद्धालु शामिल हैं।


यह दुनिया का सबसे बड़ा हेड काउंट होगा, जो एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगा। श्रद्धालुओं की गिनती और ट्रैकिंग के लिए मेला क्षेत्र में 200 स्थानों पर लगभग 744 अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जबकि शहर के भीतर 268 स्थानों पर 1107 स्थायी सीसीटीवी कैमरे स्थापित किए गए हैं।


महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए एआई तकनीक का उपयोग


सौ से अधिक पार्किंग स्थलों पर 720 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इंटीग्रेटेड कमांड कंट्रोल सेंटर के अलावा, पुलिस लाइन कंट्रोल रूम और अरैल एवं झूंसी क्षेत्र में भी व्यूइंग सेंटर हैं, जहां से श्रद्धालुओं की निगरानी की जा रही है।


टर्नअराउंड साइकिल तकनीक का महत्व


मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने बताया कि हेड काउंट में एक ही श्रद्धालु की बार-बार गिनती न हो, इसके लिए टर्नअराउंड साइकिल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। घाट क्षेत्र में एक तीर्थयात्री द्वारा औसतन लिया गया समय टर्नअराउंड साइकिल माना जाता है।


टर्नअराउंड समय निर्धारित तीन विधियों के माध्यम से प्राप्त सैंपल्स का औसत आंकड़ा होता है। इसमें पहला एट्रिब्यूट आधारित खोज है, जिसके तहत पर्सन एट्रिब्यूट सर्च कैमरों के आधार पर ट्रैकिंग की जाती है।


महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए एआई तकनीक का उपयोग


दूसरा आरएफआईडी रिस्ट बैंड पर आधारित है, जिसमें प्रमुख स्नान के साथ-साथ महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को रिस्ट बैंड दिया जाता है। रिस्ट बैंड को ट्रैक किया जाता है, जिससे पता चलता है कि तीर्थयात्री ने मेला क्षेत्र में कितना समय बिताया।


तीसरी विधि मोबाइल एप के माध्यम से ट्रैकिंग होगी, जिसमें तीर्थयात्रियों की सहमति पर मोबाइल एप के जीपीएस लोकेशन के जरिए लोकेशन ट्रैकिंग की जा रही है।


भीड़ घनत्व निगरानी प्रणाली


मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत और आईजी रेंज प्रेम कुमार ने आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों की मदद से एक एल्गोरिदम भीड़ घनत्व निगरानी प्रणाली विकसित की है। यह प्रणाली वास्तविक समय में भीड़ के दृश्यों का विश्लेषण और प्रसंस्करण करने के लिए कंप्यूटर विजन तकनीक का उपयोग करती है। भीड़ घनत्व का पता लगाने में मुख्य रूप से गति का पता लगाना और घनत्व का अनुमान लगाना शामिल है।