महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक नेताओं की नज़रबंदी को लेकर किया हमला

महबूबा मुफ़्ती ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक नेताओं की नज़रबंदी को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि वे लोगों के दर्द को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। हज़रतबल दरगाह पर हालिया विवाद को जन आक्रोश का परिणाम बताते हुए, मुफ़्ती ने भाजपा के रवैये को खतरनाक और निंदनीय कहा। जानें इस विवाद और महबूबा के आरोपों के बारे में विस्तार से।
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महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक नेताओं की नज़रबंदी को लेकर किया हमला

महबूबा मुफ़्ती का केंद्र पर आरोप

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने गुरुवार को घाटी में राजनीतिक नेताओं की नज़रबंदी को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर लोगों के दर्द को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और उनके रवैये को खतरनाक और निंदनीय बताया। X पर एक पोस्ट में, महबूबा ने कहा कि प्रोफ़ेसर अब्दुल गनी भट के निधन पर शोक व्यक्त करने के लिए सोपोर जाने से रोकना जम्मू-कश्मीर की कठोर और अलोकतांत्रिक स्थिति को दर्शाता है।


हज़रतबल दरगाह पर विवाद

महबूबा ने हज़रतबल दरगाह पर हुए विवाद को गहरे जन आक्रोश का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, "हज़रतबल दरगाह में जो कुछ हुआ, वह स्वतःस्फूर्त जन आक्रोश का विस्फोट था, यह कोई अकेली घटना नहीं थी। यह हाशिये पर धकेले गए लोगों का स्पष्ट संदेश था। भाजपा जानबूझकर इस सच्चाई से अनजान बनी हुई है और वर्षों से पनप रही गहरी पीड़ा से कुछ भी सीखने से इनकार कर रही है।"


भाजपा पर राजनीतिक लाभ का आरोप

महबूबा ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वे कश्मीर को राजनीतिक लाभ के लिए अशांत बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट होता जा रहा है कि भाजपा को कश्मीर में शांति या सुधार में कोई रुचि नहीं है। इसके बजाय, वे इस क्षेत्र को अशांत बनाए रखने और राजनीतिक लाभ के लिए दर्द और अशांति को हथियार बनाने पर तुले हुए हैं। यह रवैया न केवल गैर-ज़िम्मेदाराना है, बल्कि खतरनाक और पूरी तरह से निंदनीय भी है।" इससे पहले, एक वायरल वीडियो में भीड़ को दरगाह पर राष्ट्रीय प्रतीक को क्षतिग्रस्त करते हुए दिखाया गया था।


हजरतबल दरगाह का विवाद

श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह में विवाद तब उत्पन्न हुआ जब भीड़ ने आधारशिला पर लगे अशोक चिह्न को तोड़ दिया। इससे राष्ट्रीय प्रतीकों और धार्मिक भावनाओं को लेकर बहस छिड़ गई। इससे पहले, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने राज्य के वक्फ बोर्ड द्वारा स्थापित शिला पट्टिका की आलोचना की थी, जिस पर राष्ट्रीय चिह्न अंकित था।