ममता बनर्जी ने पहलगाम हमले पर सशस्त्र बलों की प्रशंसा की

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहलगाम हमले के बाद सशस्त्र बलों की वीरता की प्रशंसा की और कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। उन्होंने चुनाव से पहले ऐसी घटनाओं की निंदा की और पीओके पर नियंत्रण पाने के अवसर की बात की। बनर्जी ने हमले में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की और भारतीय सेना के प्रति आभार जताया। उनका यह बयान राजनीतिक विवादों के बीच आया है, जिसमें भाजपा विधायकों ने विरोध किया।
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ममता बनर्जी ने पहलगाम हमले पर सशस्त्र बलों की प्रशंसा की

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को पहलगाम हमले के संदर्भ में कहा कि इस घटना के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर नियंत्रण पाने का एक सुनहरा अवसर था, क्योंकि भारतीय सशस्त्र बलों ने अद्वितीय साहस का प्रदर्शन किया। पश्चिम बंगाल विधानसभा ने इस हमले पर एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सशस्त्र बलों की सराहना की गई। बनर्जी ने यह भी कहा कि चुनाव से पहले पुलवामा जैसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए, जिस पर भाजपा विधायकों ने विरोध जताया। उन्होंने कहा कि यह किसी गड़बड़ी का संकेत है।


बनर्जी ने स्पष्ट किया कि उनका आतंकवाद के प्रति कोई समर्थन नहीं है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की कोई जाति या धर्म नहीं होता। पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के लिए उन्होंने गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा कि यह शब्दों में नहीं कह सकते। उन्होंने उन लोगों की याद की, जिनकी जान गई, जिसमें झंटू अली शेख और एक कुली आदिल शामिल थे।


बनर्जी ने कहा, "मेरी मातृभूमि भारत है। वंदे मातरम, जय हिंद और जय बांग्ला। बहुत से लोग बंगाल को मातृभूमि के रूप में नहीं मानते। हम हमेशा अपनी मातृभूमि के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन बंगाल में हुआ था। हम अपनी मातृभूमि को नहीं भूल सकते।" उन्होंने भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।


उन्होंने एक सवाल उठाया कि महिलाएं क्यों नहीं लड़तीं और कहा कि सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीएपीएफ और अन्य सैन्य बल वहां मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मरने वालों में से कोई पुलिस अधिकारी क्यों नहीं था और आतंकवादियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए था।


गत 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। मुख्यमंत्री ने सशस्त्र बलों की वीरता की सराहना करने वाला प्रस्ताव विधानसभा में पेश किया, हालांकि इसमें 'ऑपरेशन सिंदूर' का उल्लेख नहीं था।