ममता बनर्जी की राजनीतिक चुनौतियाँ: 2026 के चुनाव की तैयारी

ममता बनर्जी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाई, लेकिन बीजेपी ने भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। 2026 के चुनाव में ममता के सामने कई चुनौतियाँ हैं। क्या वह अपनी रणनीतियों से फिर से जीत पाएंगी? जानिए इस लेख में ममता की चुनावी तैयारी और बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के बारे में।
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ममता बनर्जी की राजनीतिक चुनौतियाँ: 2026 के चुनाव की तैयारी

ममता बनर्जी का चुनावी सफर

अमिताभ बच्चन का एक प्रसिद्ध डायलॉग है, 'हम जहां से खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है।' कुछ ऐसा ही ममता बनर्जी के लिए बंगाल में कहा जाता है। 2021 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई, लेकिन बीजेपी ने भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। पिछले चुनाव में बीजेपी ने केवल तीन सीटें जीती थीं, जबकि 2021 में यह संख्या बढ़कर 77 हो गई। ममता बनर्जी के लिए यह चुनाव केवल एक चुनाव नहीं था, बल्कि उनके राजनीतिक अस्तित्व की परीक्षा थी। उन्होंने चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी खुद संभाली और दो सीटों से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। हालांकि, नंदीग्राम में सुवेंदु अधिकारी ने उन्हें मात दी। 


बीजेपी का बढ़ता प्रभाव

2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 38.1% था, जबकि ममता बनर्जी ने 47.94% वोट हासिल किए। ममता को बीजेपी से लगभग 10% अधिक वोट मिले। लेकिन 2026 में स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। अरविंद केजरीवाल की विदाई के बाद क्या बंगाल की बारी आ सकती है? पिछली बार प्रशांत किशोर ने स्थिति को संभाला था, लेकिन अब वह अपनी राजनीतिक दुनिया बनाने में लगे हैं। ममता बनर्जी का कांग्रेस के साथ व्यवहार भी दिल्ली जैसी स्थिति को जन्म दे सकता है, जहां कांग्रेस ममता के साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ खेल को और तेज कर सकती है। 


विपक्ष में बीजेपी की भूमिका

पश्चिम बंगाल में बीजेपी सरकार बनाने में असफल रही, लेकिन उसने विपक्ष की पूरी जगह अपने कब्जे में ले ली है। बीजेपी ने सीपीएम और कांग्रेस को बेदखल कर यह स्थान हासिल किया। बीजेपी का विपक्ष बनना बंगाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। पिछली बार ममता ने मुसलमानों के बीच यह संदेश फैलाया कि अगर वोट टीएमसी को नहीं दिया गया, तो बीजेपी जीत जाएगी। ममता अब चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं, जबकि चुनाव में एक साल से अधिक का समय बाकी है। क्या यह रणनीति 2026 में भी सफल होगी? 


ममता बनर्जी की रणनीतियाँ

ममता बनर्जी अपने वोटरों को अच्छी तरह जानती हैं और समझती हैं कि वोट कैसे प्राप्त किए जाएं। नंदीग्राम में चंडीपाठ करते हुए और फुफुराशरीफ जाकर वह अपने वोटरों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने उन्हें बड़ा झटका दिया था, लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव ने बीजेपी को बंगाल में आगे बढ़ने से रोक दिया। ममता जानती हैं कि उनके वोटर की क्या आवश्यकताएँ हैं। 


बंगाल की राजनीतिक परंपरा

महान स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था, "जो बंगाल आज सोचता है, वो भारत कल सोचेगा।" पश्चिम बंगाल में परिवर्तन में समय लगता है। आजादी के बाद कांग्रेस लगभग तीन दशकों तक सत्ता में रही, उसके बाद वाम दलों का शासन रहा। लेकिन पिछले 14 वर्षों से ममता की टीएमसी सत्ता में है। बंगाल अपने समय के साथ चलता है। ममता के प्रति बंगाल की पुरानी रवायत भी बनी हुई है। बीजेपी ने बंगाल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और कह रही है कि अब उनका भी समय आ गया है।