मध्यप्रदेश में मां की हत्या के मामले में बेटे को मिली फांसी की सजा

मध्यप्रदेश की एक अदालत ने एक बेटे को अपनी मां की हत्या के लिए मृत्युदंड की सजा सुनाई है। यह मामला तब सामने आया जब आरोपी ने अपनी मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन जांच में उसके बार-बार बदलते बयानों ने पुलिस को संदेह में डाल दिया। आरोपी ने अपनी मां की हत्या की योजना बनाई थी ताकि वह उनके बैंक खाते में जमा 32 लाख रुपये की सावधि जमा हड़प सके। अदालत ने इस जघन्य अपराध को देखते हुए सख्त सजा सुनाई।
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मध्यप्रदेश में मां की हत्या के मामले में बेटे को मिली फांसी की सजा

मामले का संक्षिप्त विवरण

मध्यप्रदेश की एक अदालत ने श्योपुर जिले में 32 लाख रुपये की सावधि जमा (एफडी) की राशि हड़पने के लिए अपनी मां की हत्या करने वाले बेटे को मृत्युदंड की सजा सुनाई है। यह जानकारी एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को दी।


अदालत का निर्णय

अपर सत्र न्यायाधीश एल डी सोलंकी ने आरोपी दीपक पचौरी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत अपनी मां उषा देवी की हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई।


मामले की जांच

विशेष लोक अभियोजक राजेन्द्र जाधव ने बताया कि दीपक ने 8 मई 2024 को अपनी मां की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। लेकिन जांच के दौरान उसके बार-बार बयान बदलने के कारण पुलिस को उस पर संदेह हुआ।


आरोपी की कबूलियत

पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र जैन ने बताया कि जब आरोपी से सख्ती से पूछताछ की गई, तो उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। दीपक को उषा देवी और भुवनेन्द्र पचौरी ने 20 साल पहले ग्वालियर के एक अनाथ आश्रम से गोद लिया था।


धन की लालच

जैन ने कहा कि 2021 में पिता की मृत्यु के बाद दीपक ने उनके नाम पर जमा 16.85 लाख रुपये की एफडी निकाल ली थी। उसने इसमें से 14 लाख रुपये शेयर बाजार में निवेश किए और बाकी खर्च कर दिए।


हत्या की योजना

शेयर बाजार में नुकसान के बाद दीपक की नजर अपनी मां के बैंक खाते में जमा 32 लाख रुपये की एफडी पर पड़ी। उषा देवी ने इस खाते में बेटे को नॉमिनी घोषित किया था। आरोपी ने कई बार मां से पैसे मांगे, लेकिन जब उन्होंने मना किया, तो उसने उनकी हत्या की योजना बनाई।


हत्या का तरीका

दीपक ने 6 मई को अपनी मां को सीढ़ी पर चढ़ते समय धक्का दिया, लेकिन उनकी मौत नहीं हुई। इसके बाद उसने लोहे की छड़ से सिर पर वार किया और गला दबा दिया।


शव छिपाने की कोशिश

आरोपी ने मां के शव को लाल कपड़े में बांधकर शौचालय की दीवार में सीमेंट, रेत और ईंटों से छिपा दिया। पुलिस ने आरोपी के बताए स्थान से शव को निकाला और विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा।


अदालत का अंतिम फैसला

पुलिस ने पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 और 201 के तहत मामला दर्ज किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि मां को ईश्वर के समान माना जाता है और उनकी हत्या माफी के योग्य नहीं है।