मध्यप्रदेश में एनीमिया की alarming स्थिति: 50% बच्चे प्रभावित
भोपाल में एनीमिया की गंभीरता
भोपाल
मध्यप्रदेश में पोषण और स्वास्थ्य के संदर्भ में चिंताजनक आंकड़े सामने आए हैं। एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम 2025-26 की हालिया स्क्रीनिंग रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में पांच साल से कम उम्र के हर 10 में से आधे बच्चे (50%) और हर 10 में से तीन महिलाएं (30%) एनीमिया से ग्रसित हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि एक बड़ी जनसंख्या अब भी कुपोषण और अस्वस्थ खान-पान की समस्या का सामना कर रही है।
हालांकि, इस नकारात्मक स्थिति के बीच एक सकारात्मक पहलू भी है। मध्यप्रदेश ‘एनीमिया मुक्त भारत’ अभियान के कार्यान्वयन में पिछले छह महीनों से देश में पहले स्थान पर बना हुआ है। इसका श्रेय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया जा रहा है, जो समय पर मरीजों की पहचान कर उन्हें उपचार उपलब्ध करा रहे हैं। उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने इसे स्वास्थ्य तंत्र की प्रतिबद्धता और टीमवर्क का परिणाम बताया है।
70 लाख बच्चों की डिजिटल जांच
वित्तीय वर्ष 2025-26 के दौरान ‘दस्तक अभियान’ के तहत 70.62 लाख बच्चों की डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर से जांच की गई। इनमें से 35.21 लाख बच्चों में एनीमिया की पुष्टि हुई, जिनका उपचार शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही 9.42 लाख गर्भवती महिलाओं की स्क्रीनिंग में 3 लाख से अधिक महिलाएं मध्यम से गंभीर एनीमिया से ग्रसित पाई गईं, जिन्हें आयरन सुक्रोज और रक्ताधान जैसी सुविधाएं दी गईं।
एनीमिया केवल थकान या कमजोरी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक विकास में भी बड़ी बाधा बनता है। सरकार का लक्ष्य उपचार और जागरूकता के माध्यम से प्रदेश को पूरी तरह एनीमिया मुक्त बनाना है।
बचाव के लिए क्या करें?
पालक : आयरन और फोलेट का समृद्ध स्रोत।
अंजीर व चुकंदर : रोजाना सेवन से खून बढ़ाने में सहायक।
केला व शकरकंद : ऊर्जा के साथ पोटैशियम और मैग्नीशियम की पूर्ति।
लौकी : विटामिन और मिनरल से भरपूर, कोलेस्ट्राल नियंत्रित रखने में मददगार।
