मध्यप्रदेश में 50 करोड़ रुपये के फर्जी शराब चालान घोटाले में दो गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मध्यप्रदेश में 50 करोड़ रुपये के फर्जी शराब चालान घोटाले के सिलसिले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों को मुख्य षड्यंत्रकारियों के रूप में पहचाना गया है, जिन्होंने एक धोखाधड़ी योजना बनाई थी। ईडी की जांच में यह सामने आया है कि आरोपियों ने सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए चालान में हेराफेरी की। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और ईडी की कार्रवाई के बारे में।
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मध्यप्रदेश में 50 करोड़ रुपये के फर्जी शराब चालान घोटाले में दो गिरफ्तार

ईडी की कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को जानकारी दी कि उसने मध्यप्रदेश में 50 करोड़ रुपये के फर्जी शराब चालान घोटाले के संबंध में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।


गिरफ्तारी की जानकारी

संघीय जांच एजेंसी ने एक बयान में बताया कि अंश त्रिवेदी और राजू दशवंत को तीन अक्टूबर को इंदौर में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत हिरासत में लिया गया। एक मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें आठ अक्टूबर तक ईडी की हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।


मुख्य षड्यंत्रकारियों की पहचान

ईडी के अनुसार, इन दोनों को 'मुख्य षड्यंत्रकारियों' के रूप में पहचाना गया है, जिन्होंने एक धोखाधड़ी योजना बनाई और उसे लागू किया, जिससे शराब ठेकेदारों को अवैध लाभ प्राप्त हुआ और सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।


धोखाधड़ी योजना का विवरण

जांच में यह सामने आया कि आरोपियों ने एक धोखाधड़ी योजना शुरू की, जिसमें शराब ठेकेदारों ने नाममात्र राशि के ट्रेजरी चालान जमा किए, लेकिन जानबूझकर 'शब्दों में रुपये' खंड को खाली छोड़ दिया।


धोखाधड़ी के सबूत

ईडी ने बताया कि चालान जमा करने के बाद, आरोपियों ने धोखाधड़ी से अंकों और शब्दों में राशि बढ़ा दी। इन छेड़छाड़ की गई चालान प्रतियों को बाद में देशी शराब के गोदामों या जिला आबकारी कार्यालयों में झूठे सबूत के रूप में प्रस्तुत किया गया।


एनओसी और लाइसेंस की प्राप्ति

इन जाली दस्तावेजों के आधार पर आरोपियों ने अवैध एनओसी और शराब लाइसेंस अनुमोदन प्राप्त किए, जिससे मध्यप्रदेश सरकार के साथ धोखाधड़ी हुई।


जांच की शुरुआत

धनशोधन की जांच इंदौर (रावजी थाना) पुलिस द्वारा कुछ शराब ठेकेदारों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी से शुरू हुई, जिसमें आरोप लगाया गया कि ट्रेजरी चालान में हेराफेरी और जालसाजी के जरिए सरकारी खजाने को 49.42 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया।