मध्यप्रदेश में 5 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी को मिली आजीवन कारावास की सजा

घटना का विवरण

मध्यप्रदेश में एक चौंकाने वाली घटना ने समाज को झकझोर दिया, जब एक मामा ने अपनी 5 साल की भांजी के साथ दुष्कर्म किया। यह घटना 2020 में हुई थी, और अब लगभग 5 साल की कानूनी लड़ाई के बाद, न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराते हुए उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस निर्णय ने पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया है और समाज में बाल सुरक्षा के प्रति एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया है। घटना उस समय शुरू हुई जब बच्ची अपनी मां से पैसे लेकर बिस्कुट खरीदने गई थी। तभी उसके मामा ने उसे पकड़कर एक कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया। बच्ची की चीखें सुनकर उसकी मां ने उसे बचा लिया।
पुलिस की कार्रवाई और अदालत की सुनवाई
घटना के बाद, आरोपी मौके से भाग गया, लेकिन पीड़िता की मां ने हिम्मत नहीं हारी और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच शुरू की। जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण सबूत, जैसे वैज्ञानिक परीक्षण और डीएनए रिपोर्ट, एकत्र किए गए। ये सबूत पीड़ित पक्ष के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए। मामले की सुनवाई विशेष अदालत में हुई, जहां अभियोजन पक्ष ने मजबूत तर्क और गवाहों के बयानों के आधार पर अपना पक्ष रखा। आरोपी की उम्र उस समय 26 साल थी, और उसने अपराध तब किया जब बच्ची केवल 5 साल की थी।
अदालत का फैसला
अदालत ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता की एक विशेष धारा के तहत दोषी ठहराया, जो 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों से संबंधित है। न्यायाधीश ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस सजा ने न केवल पीड़ित परिवार को राहत दी, बल्कि यह अन्य अपराधियों के लिए भी एक चेतावनी है। पीड़िता और उसके परिवार ने इस कठिन समय में कई चुनौतियों का सामना किया।
समाज में जागरूकता और सुरक्षा
इस मामले में पुलिस की भूमिका सराहनीय रही। उन्होंने न केवल आरोपी को गिरफ्तार किया, बल्कि सबूतों को सुरक्षित रखते हुए अदालत में पेश किया। डीएनए जैसे वैज्ञानिक साक्ष्यों का उपयोग ऐसे मामलों में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। अदालत ने भी इस बात पर जोर दिया कि नाबालिगों के खिलाफ अपराध में कोई ढील नहीं बरती जा सकती। पीड़ित परिवार अब इस फैसले से संतुष्ट है और उम्मीद करता है कि इससे अन्य परिवारों को भी प्रेरणा मिलेगी।
भविष्य के लिए संदेश
बाल अपराधों पर चर्चा देश भर में होती रहती है, और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में ऐसे मामलों की संख्या चिंताजनक है। सरकार और गैर-सरकारी संगठन मिलकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वे बच्चों पर नजर रखें, खासकर रिश्तेदारों के साथ। इस मामले ने एक बार फिर साबित किया है कि कानून सबके लिए बराबर है, और अपराधी कितना भी चालाक हो, सच्चाई सामने आ ही जाती है।