मध्यप्रदेश की स्थापना का 70वां वर्ष: विकास और नवाचार की नई ऊँचाइयाँ
मध्यप्रदेश का 70वां स्थापना दिवस

मध्यप्रदेश आज अपने 70वें स्थापना दिवस का जश्न मना रहा है। 1 नवंबर 1956 को स्थापित हुआ यह राज्य अब विकास की नई ऊँचाइयों को छू रहा है। इस वर्ष राज्योत्सव का आयोजन देवउठनी ग्यारस के पावन अवसर पर किया जा रहा है, जो हमारी संस्कृति, परंपरा और नवसृजन की भावना का प्रतीक है। भारत के हृदय के रूप में जाना जाने वाला मध्यप्रदेश वन, जल, अन्न, खनिज, कला और संस्कृति से समृद्ध है। माँ नर्मदा, चंबल, शिप्रा जैसी पवित्र नदियाँ, उज्जैन में बाबा महाकाल का आशीर्वाद, चित्रकूट में श्रीराम की तपोस्थली और आदि शंकराचार्य की कर्मभूमि इस प्रदेश को विशेष बनाती हैं। विक्रमादित्य की भूमि उज्जैन से विक्रम संवत जैसी वैज्ञानिक कालगणना का आरंभ हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए मध्यप्रदेश ने निवेश, नवाचार और रोजगार को अपने विकास के तीन प्रमुख स्तंभ बनाया है। इस वर्ष राज्योत्सव की थीम उद्योग और रोजगार रखी गई है, जो सतत विकास और जनभागीदारी की भावना को दर्शाती है।
पिछले दो वर्षों में प्रदेश ने निवेश के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में देश-विदेश के निवेशकों ने मध्यप्रदेश में गहरी रुचि दिखाई। खनिज कॉन्क्लेव में 56 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले। इसके साथ ही आईटी पार्क, इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण इकाइयों और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में भी निवेश को प्रोत्साहन मिला है। प्रदेश सरकार ने निवेशकों के लिए सरल, सुरक्षित और सक्षम वातावरण बनाया है। रीजनल इन्वेस्टर्स समिट जैसी पहल के माध्यम से उज्जैन से लेकर जबलपुर, ग्वालियर, सागर, रीवा, शहडोल और नर्मदापुरम तक निवेश संवाद को व्यापक बनाया गया है। इसके अलावा मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, कोयंबटूर, दिल्ली, जर्मनी, जापान, यूके और दुबई तक अंतरराष्ट्रीय रोडशो आयोजित किए गए।
नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में इनोवेशन हब, स्टार्टअप पॉलिसी 2025, फंडिंग सपोर्ट और इन्क्यूबेशन नेटवर्क विकसित किए गए हैं। इससे मध्यप्रदेश देश की स्टार्टअप क्रांति का एक सशक्त केंद्र बन रहा है। प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा दिए गए गरीब, युवा, अन्नदाता और नारी के मंत्र को मध्यप्रदेश ने अपनी नीतियों का आधार बनाया है। इन चार स्तंभों के माध्यम से समावेशी विकास को गति दी जा रही है। गरीब कल्याण मिशन के तहत स्वरोजगार, आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएँ सुदृढ़ की जा रही हैं।
कौशल विकास मिशन ने युवाओं को जॉब सीकर से जॉब क्रिएटर में परिवर्तित किया है। रोजगार मेले, अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम और डिजिटल स्किल सर्टिफिकेशन जैसी योजनाएँ युवाओं को अवसर प्रदान कर रही हैं। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने शासकीय भर्ती कैलेंडर जारी किया है, जिससे सरकारी नौकरियों की पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित हुई है।
कृषि क्षेत्र में नवाचार के साथ नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है। ड्रोन आधारित फसल निरीक्षण, स्मार्ट सिंचाई प्रणाली और मूल्य संवर्धन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी। वर्तमान में सिंचाई का रकबा 52 लाख हेक्टेयर से अधिक है, जिसे अगले तीन वर्षों में 100 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य है। गेहूं, सोयाबीन, चना और मसालों के उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी है।
महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए नारी शक्ति मिशन और लाड़ली बहना योजना परिवर्तनकारी सिद्ध हुई हैं। लाखों बहनों को आर्थिक सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का अवसर मिला है। महिला उद्यमिता नीति के तहत महिलाएँ लघु उद्योग, डेयरी, हस्तशिल्प और सेवा क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं। स्व-सहायता समूहों को वित्तीय सहायता और बाजार उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
प्रदेश ने गौ-संवर्धन और दुग्ध उत्पादन को भी आर्थिक नवाचार का केंद्र बनाया है। मुख्यमंत्री गौ-संवर्धन मिशन के तहत गौ-अभयारण्य और गौ-सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिससे दुग्ध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
मध्यप्रदेश आज विकास, संस्कृति और सामाजिक कल्याण के संगम का प्रतीक बन चुका है। प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और प्रदेशवासियों के सहयोग से हम आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लक्ष्य की ओर अग्रसर हैं। हमारा संकल्प है गरीब के चेहरे पर मुस्कान, किसान की खुशहाली, नारी का सम्मान और युवाओं का उज्जवल भविष्य। आइए, हम सब मिलकर विकसित भारत के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाएँ।
प्रदेशवासियों को मध्यप्रदेश स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
