मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने यूनियन कार्बाइड के कचरे के निस्तारण के लिए समय दिया

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को धार जिले में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निस्तारण की योजना पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। यह निर्णय 1984 में भोपाल गैस त्रासदी के बाद उठाए गए कदमों का हिस्सा है, जिसमें हजारों लोग प्रभावित हुए थे। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को निर्धारित की है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और राज्य सरकार की रिपोर्ट के बारे में।
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मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने यूनियन कार्बाइड के कचरे के निस्तारण के लिए समय दिया

उच्च न्यायालय का निर्णय

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) को धार जिले में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के राख के निस्तारण की योजना प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।


न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की खंडपीठ ने एमपीपीसीबी द्वारा समय सीमा बढ़ाने के अनुरोध को स्वीकार किया और मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को निर्धारित की।


भोपाल में 1984 में यूनियन कार्बाइड के कीटनाशक कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव के कारण कम से कम 5,479 लोगों की जान गई थी और हजारों लोग गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे।


साल 2004 में आलोक प्रताप सिंह ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के लिए एक जनहित याचिका दायर की थी। उनकी मृत्यु के बाद, उच्च न्यायालय ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए याचिका की सुनवाई की।


इससे पहले, राज्य सरकार ने धार के पीथमपुर संयंत्र में कचरे के निपटान के संबंध में अदालत में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में कहा गया कि एमपीपीसीबी से मंजूरी मिलने के बाद कचरे से उत्पन्न 850 मीट्रिक टन राख और अवशेषों को एक अलग लैंडफिल सेल में नष्ट किया जाएगा।