मध्य प्रदेश: सिनेमा का नया हब, छोटे कस्बों में बढ़ रही फिल्म शूटिंग
सिनेमा में बदलाव और मध्य प्रदेश की भूमिका
भोपाल में सिनेमा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिले हैं। फिल्मों की अवधि में कमी आई है और अब दर्शक बड़े पर्दे के बजाय ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। इस बदलाव के बावजूद, सिनेमा एक चीज की तलाश में है, और वह है असली सेट। फिल्म निर्माताओं की यह खोज मध्य प्रदेश में पूरी हुई है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, पहाड़, नदियां, जंगल और ऐतिहासिक स्थल सिनेमा को आकर्षित कर रहे हैं।
छोटे कस्बों में फिल्म शूटिंग का बढ़ता चलन
कुछ दशकों पहले, फिल्में केवल मध्य प्रदेश के बड़े शहरों जैसे भोपाल, ग्वालियर और इंदौर में ही शूट होती थीं। अब, यह प्रवृत्ति छोटे कस्बों जैसे महेश्वर, चंदेरी और ओरछा तक पहुंच गई है। सीहोर जिले के महोदिया, बमुलिया और धमनखेड़ा जैसे गांवों में भी फिल्में शूट की जा रही हैं।
मध्य प्रदेश में फिल्म प्रोजेक्ट्स की संख्या में वृद्धि
पिछले तीन वर्षों में, मध्य प्रदेश में दो सौ से अधिक फिल्म प्रोजेक्ट्स की शूटिंग हुई है, जिसमें 20 से अधिक दक्षिण भारतीय फिल्मों का समावेश है। राज्य की भौगोलिक विविधता और ऐतिहासिक धरोहर ने इसे दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक आकर्षक स्थान बना दिया है।
सरकार की फिल्म पर्यटन नीति का प्रभाव
मध्य प्रदेश सरकार की फिल्म पर्यटन नीति 2020 ने निर्माताओं के लिए कई सुविधाएं प्रदान की हैं। नई नीति के तहत, वित्तीय प्रोत्साहनों की सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसके अलावा, दक्षिण भारतीय भाषाओं की फिल्मों के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त लाभ भी दिया गया है।
फिल्म क्रू के लिए विशेष छूट
निर्माताओं को सभी आवश्यक अनुमतियां 15 कार्य दिवसों के भीतर प्राप्त करने की सुविधा दी गई है। इसके साथ ही, मध्य प्रदेश पर्यटन के होटल में फिल्म क्रू के ठहरने पर 40 प्रतिशत की छूट भी दी जाती है, जो दक्षिण भारतीय फिल्मों के लिए महत्वपूर्ण है।
हाल के प्रमुख प्रोजेक्ट्स
पिछले तीन वर्षों में, कई प्रमुख दक्षिण भारतीय फिल्मों की शूटिंग मध्य प्रदेश में हुई है, जिनमें 'पेन्नियन सेल्वन (1 और 2)', 'इंडियन-2', 'तमिलरावणन', 'कन्नप्पा', 'अखंडा', 'नरकासुर', 'कल्लू कंपाउंडर', 'भार्गवी', 'गंन्स एंड गैंग', और 'माई हीरो' शामिल हैं।
मध्य प्रदेश का फिल्म उद्योग के प्रति दृष्टिकोण
मध्य प्रदेश एक सक्रिय राज्य है जो फिल्म उद्योग के लिए अनुकूल है। यहां आने वाले फिल्म निर्माताओं का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी न केवल फिल्म की लागत को कम करती है, बल्कि उन्हें अनछुए स्थानों पर शूटिंग के लिए भी प्रोत्साहित करती है। इससे राज्य के पर्यटन स्थलों को भी बढ़ावा मिल रहा है।
– डॉ. अभय अरविंद बेडेकर, अपर प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश पर्यटन बोर्ड।
