मध्य प्रदेश में मूंग की खरीद को लेकर किसानों का प्रदर्शन

मध्य प्रदेश के किसान मूंग की सरकारी खरीद को लेकर परेशान हैं और विभिन्न स्थानों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने किसानों के हित में निर्णय लेने का आश्वासन दिया है, लेकिन किसान संघ ने सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है और किसानों की अगली रणनीति क्या होगी।
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मध्य प्रदेश में मूंग की खरीद को लेकर किसानों का प्रदर्शन

किसानों की समस्याएं और सरकार की प्रतिक्रिया


मध्य प्रदेश समाचार: मध्य प्रदेश के किसान मूंग की सरकारी खरीद को लेकर काफी चिंतित हैं। इस समय किसान विभिन्न स्थानों पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें मंडियों में अपनी मूंग की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर बेचनी पड़ रही है, जिससे प्रति एकड़ हजारों रुपये का नुकसान हो रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि उनकी सरकार हमेशा किसान हित में निर्णय लेने के लिए जानी जाती है। उन्होंने बताया कि मूंग की खरीद को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री से चर्चा की जा रही है और किसान संघ से भी बातचीत की जाएगी। उनकी सरकार सभी मुद्दों को संवाद के माध्यम से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

किसानों की नाराजगी और प्रदर्शन

मूंग की बिक्री को लेकर प्रदेश के किसानों में गहरी नाराजगी है। कई स्थानों पर किसान प्रदर्शन, नारेबाजी और जल सत्याग्रह कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि राज्य में मूंग की सरकारी खरीद नहीं हो रही है, जिसके चलते उन्हें समर्थन मूल्य से लगभग 3000 रुपये प्रति क्विंटल कम दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है।

सरकार ने इस वर्ष मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 8768 रुपये निर्धारित किया है, जबकि खुले बाजार में मूंग के दाम 5000 से 5500 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए हैं। किसानों का कहना है कि प्रति एकड़ 7 से 8 हजार रुपये का खर्चा आ रहा है, जबकि मंडियों में दाम काफी कम हो गए हैं। पिछले वर्ष खुले बाजार में मूंग के दाम 8000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर थे।

12 लाख हेक्टेयर में मूंग की बोनी

मूंग की फसल, जो कम समय में तैयार होती है, प्रदेश में लगातार बढ़ती जा रही है। इस वर्ष 12 लाख हेक्टेयर में मूंग की फसल बोई गई है, जिसमें से लगभग 40 प्रतिशत फसल मंडियों में बिक चुकी है। कई किसान अपनी फसल को एमएसपी पर बिकने की उम्मीद में घरों में रखे हुए हैं, जबकि कुछ क्षेत्रों में फसल खेतों में खड़ी है। भोपाल, जबलपुर, और नर्मदापुरम संभाग के लगभग 25 जिलों में मूंग की बोनी की गई है।

गुरुवार को किसान संघ के पदाधिकारियों ने भोपाल, जबलपुर और इंदौर में एकसाथ प्रेस वार्ता की। भोपाल में संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा कि दो दिन पहले किसान संघ के नेतृत्व में किसानों ने तहसील मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया और सरकार से मूंग और उड़द की खरीद की मांग की थी।

प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलकर किसानों की समस्याओं को रखा, लेकिन सरकार ने मूंग और उड़द की समर्थन मूल्य पर खरीद से साफ मना कर दिया। प्रदेश अध्यक्ष आंजना ने आरोप लगाया कि व्यापारियों के साथ मिलकर किसानों से मंडियों में खुली लूट की जा रही है। किसान संघ इस लूट का कड़ा विरोध करेगा।

तीन दिन का इंतजार, फिर आंदोलन की योजना

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ‘कक्काजी’ ने कहा है कि समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद नहीं होने से किसान चिंतित हैं। सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। सरकारी खरीद नहीं होने के कारण किसानों को मजबूरन अपनी फसल मंडियों में बेचनी पड़ रही है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। हम तीन दिन तक सरकार के रुख का इंतजार करेंगे, उसके बाद प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।