मध्य प्रदेश में ज़हरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत की जांच शुरू

मध्य प्रदेश में एक विशेष जांच दल ने ज़हरीले कफ सिरप के सेवन से हुई बच्चों की मौतों की जांच शुरू की है। छिंदवाड़ा जिले से आई रिपोर्टों के अनुसार, कम से कम 20 बच्चों की जान गई है। जांच में शामिल टीम ने चेन्नई में कफ सिरप बनाने वाली कंपनी की फैक्ट्री का दौरा किया और इसे सील कर दिया। इस मामले में तमिलनाडु पुलिस भी सहयोग कर रही है। जानें इस गंभीर मामले की पूरी जानकारी और इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव।
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मध्य प्रदेश में ज़हरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत की जांच शुरू

जांच दल की गठन और कार्रवाई

मध्य प्रदेश में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने हाल ही में ज़हरीले कफ सिरप के सेवन से हुई बच्चों की मौतों की जांच शुरू की है। छिंदवाड़ा जिले से आई चौंकाने वाली रिपोर्टों के अनुसार, सिरप के कारण किडनी फेल होने से कई बच्चों की जान गई। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, एक सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) की अध्यक्षता में सात सदस्यीय टीम का गठन किया गया। एसआईटी ने चेन्नई के पास स्थित कफ सिरप बनाने वाली कंपनी की फैक्ट्री का दौरा किया और इसे जांच के दौरान सील कर दिया। तमिलनाडु पुलिस ने भी इस मामले में मध्य प्रदेश की टीम को साक्ष्य जुटाने में सहायता की। 


कंपनी की जांच और कार्रवाई

एसआईटी ने आगे की जानकारी प्राप्त करने के लिए चेन्नई में दवा कंपनी के पंजीकृत पते का दौरा किया। अधिकारियों के अनुसार, कंपनी का मालिक तीन दिन पहले ही परिसर छोड़ चुका था। जांचकर्ताओं ने उसकी गतिविधियों का पता लगाने के लिए कार्यालय के सीसीटीवी फुटेज का अध्ययन किया। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग की प्रारंभिक रिपोर्टों ने पुष्टि की है कि कांचीपुरम के सुंगुवरचत्रम स्थित कारखाने से एकत्र किए गए कफ सिरप के नमूने मिलावटी थे। इन निष्कर्षों के आधार पर, तमिलनाडु सरकार ने तुरंत उत्पादन रोकने का आदेश दिया और 1 अक्टूबर से कोल्ड्रिफ पर राज्यव्यापी प्रतिबंध लगा दिया। अधिकारियों ने बाजार से सिरप का सारा स्टॉक भी हटाना शुरू कर दिया। 


बच्चों की मौतों की संख्या

मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने 7 अक्टूबर (मंगलवार) को बताया कि राज्य में कम से कम 20 बच्चों की इस सिरप के सेवन से किडनी फेल होने के कारण मौत हो गई है। यह दूषित उत्पाद न केवल मध्य प्रदेश में, बल्कि राजस्थान, पुडुचेरी और अन्य क्षेत्रों में भी वितरित किया जा रहा था, जिससे व्यापक जन स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका बढ़ गई है।