मथुरा के मंदिर में खोला गया रहस्यमय तहखाना, मिला खजाना
मथुरा में खजाने की खोज
मथुरा। मथुरा-वृन्दावन के प्रसिद्ध मंदिर में रविवार को एक ऐतिहासिक दिन आया, जिसकी प्रतीक्षा कई पीढ़ियों से की जा रही थी। मंदिर के गर्भगृह के नीचे लगभग 30 फीट गहरी तहखाने में एक टीम ने प्रवेश किया, जहां एक खजाना छिपा हुआ था, जिसे 1971 से बंद रखा गया था।
खजाने का रहस्य और खुलने की प्रक्रिया
खजाना वास्तव में मंदिर के मुख्य कक्ष के नीचे स्थित था। इतिहासकारों के अनुसार, यह तहखाना 1864 में बनाया गया था, जहां जिले के राजाओं द्वारा चढ़ाए गए दान-आभूषण, भूमि हस्तांतरण के दस्तावेज और भवन दान रखे जाते थे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक उच्च स्तरीय समिति ने इस तहखाने को खोलने का निर्देश दिया। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, जिसमें अग्निशामक और वन विभाग की टीम भी शामिल थी। इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की गई। दरवाजे को ग्राइंडर से काटा गया, जिसके बाद दो लकड़ी के संदूक मिले। एक बड़ा और एक छोटा संदूक, जिसमें बर्तन, कीमती रत्न और सिक्के थे।
क्या मिला, क्या नहीं मिला
कमरे में सोने और चांदी की छड़ियां भी पाई गईं। एक लंबे लकड़ी के बॉक्स में एक सोने की छड़ी और तीन चांदी की छड़ियां थीं, जिन पर गुलाल लगा हुआ था। मंदिर के एक गोस्वामी ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे ठाकुर जी होली के बाद इन छड़ियों को धारण करते होंगे।
हालांकि, तहखाने के सबसे निचले हिस्से में कुछ नहीं मिला, अर्थात वह स्थान पूरी तरह से खाली था। टीम ने उस क्षेत्र को सील कर दिया।
भक्तों में उत्सुकता, प्रशासन में सतर्कता
इस खबर के फैलते ही मंदिर परिसर और वृन्दावन-मथुरा में भारी उत्सुकता का माहौल बन गया। श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्हें इस कमरे में क्या होगा, इसकी जानकारी नहीं थी, लेकिन वे इंतजार कर रहे थे।

प्रशासन ने कहा कि आगे की वस्तुओं की सूची बनाई जा रही है। मंदिर न्यास और जिला प्रशासन ने मिलकर यह सुनिश्चित किया कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो।
आगे क्या होगा?
इन प्राप्त वस्तुओं का पुरातात्विक और मूल्यांकन परीक्षण किया जाएगा। समिति ने संकेत दिए हैं कि अन्य तहखानों और कार्यालयों में भी खोज की जा सकती है। मंदिर प्रबंधन ने कहा है कि इस प्रक्रिया से भविष्य में भक्तों के लिए व्यवस्था और भरोसा बेहतर होगा।