मणिशंकर अय्यर का शशि थरूर के 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विवादित बयान

पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में चल रहे 'ऑपरेशन सिंदूर' पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रतिनिधिमंडल ने भारत का सही संदेश नहीं पहुंचाया और यह भी कहा कि जिन 33 देशों का दौरा किया गया, उनमें से किसी ने भी पाकिस्तान को हमले का जिम्मेदार नहीं ठहराया। इस विवाद के बीच, 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी।
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मणिशंकर अय्यर का शशि थरूर के 'ऑपरेशन सिंदूर' पर विवादित बयान

मणिशंकर अय्यर का विवादास्पद बयान

पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में चल रहे 'ऑपरेशन सिंदूर' आउटरीच प्रतिनिधिमंडल पर सवाल उठाए हैं। अय्यर का कहना है कि इस प्रतिनिधिमंडल ने भारत का संदेश सही तरीके से नहीं पहुंचाया।


अय्यर के आरोप

अय्यर ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि थरूर के नेतृत्व में जिन 33 देशों का दौरा किया गया, उनमें से किसी ने भी यह नहीं कहा कि पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था। उन्होंने यह भी बताया कि संयुक्त राष्ट्र या अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण देशों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। अय्यर ने कहा, 'थरूर के प्रतिनिधिमंडल ने जिन देशों का दौरा किया, उनमें से किसी ने भी यह नहीं कहा कि हमले के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है। हम ही हैं जो अपनी आवाज उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि पाकिस्तान इसके लिए उत्तरदायी है।'


'ऑपरेशन सिंदूर' का उद्देश्य

22 अप्रैल को, पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने पहलगाम की बैसरन घाटी में एक हमले को अंजाम दिया, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई। इसके जवाब में, भारत ने 6-7 मई की रात को 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इस कार्रवाई में नौ लॉन्च पैड नष्ट किए गए और 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।


प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य

इस कार्रवाई के बाद, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने कड़े रुख को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने के लिए 30 से अधिक देशों में बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजे। इनमें से एक का नेतृत्व शशि थरूर ने किया। इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल थे, जिनका उद्देश्य यह स्पष्ट करना था कि भारत की कार्रवाई तनाव बढ़ाने वाली नहीं थी, बल्कि पाकिस्तान के किसी भी भविष्य के दुस्साहस का कड़ा जवाब देने का संकेत थी।