मणिपुर में नई सरकार गठन की तैयारी, बीजेपी का रणनीतिक प्लान
मणिपुर में सरकार गठन की कोशिशें तेज
भारतीय जनता पार्टी.
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के दौरान 26 जनवरी से पहले नई सरकार के गठन को लेकर राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। राज्य विधानसभा में 60 में से 44 विधायक सरकार बनाने के पक्ष में हैं, जिससे बहुमत का आंकड़ा पूरा होता दिख रहा है। इसी आधार पर बीजेपी राज्य में निर्वाचित सरकार की वापसी की योजना बना रही है।
हाल ही में 14 दिसंबर को बीजेपी के सभी विधायकों की दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में सरकार गठन की संभावनाओं, मुख्यमंत्री के चेहरे, सहयोगी दलों के साथ संतुलन और राजनीतिक संदेश पर चर्चा की गई। पार्टी का लक्ष्य है कि गणतंत्र दिवस से पहले राष्ट्रपति शासन समाप्त कर राज्य में सरकार स्थापित की जाए, ताकि लंबे समय से चल रहे राजनीतिक और प्रशासनिक ठहराव को समाप्त किया जा सके।
हालांकि, यह प्रक्रिया आसान नहीं होगी। कुकी समुदाय से जुड़े कुछ संगठन, विशेषकर कुकी ह्यूमन राइट काउंसिल और विलेज वॉलेंटियर्स कुकी जो गाम, अब भी अलग यूनियन टेरिटरी या स्वायत्त प्रशासन की मांग पर अड़े हुए हैं।
कुकी समुदाय के लिए अलग यूनियन टेरिटरी की मांग
20 दिसंबर को विलेज वॉलेंटियर्स ऑफ ईस्टर्न जोन (कुकी जो गाम) ने एक पत्र जारी कर कहा कि दिल्ली में मैतेई समुदाय के विधायकों के साथ कुकी विधायकों की बैठक चिंता का विषय है। उनका मानना है कि दोनों समुदाय भौगोलिक और राजनीतिक रूप से अलग हो चुके हैं।
इसलिए, कुकी समुदाय के लिए अलग यूनियन टेरिटरी की आवश्यकता है। इन संगठनों का कहना है कि जब तक उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक सुरक्षा से जुड़ी मांगों पर ठोस आश्वासन नहीं मिलता, तब तक मौजूदा व्यवस्था को स्वीकार करना मुश्किल है।
बातचीत के माध्यम से समाधान की कोशिश
राजनीतिक दृष्टिकोण से यह महत्वपूर्ण है कि कुकी-जो समुदाय से जुड़े कुछ विधायक भी अलग प्रशासन की मांग का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में सरकार बनने के बाद उसकी स्थिरता और स्वीकार्यता को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
केंद्र सरकार ने बताया है कि वह मणिपुर में किसी भी तरह से दूसरी स्वायत्त शासन की अनुमति नहीं देगी। केंद्र सरकार संवाद और सहमति के रास्ते पर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है और उसे विश्वास है कि कुकी जो समुदाय के विधायक और संगठन नई सरकार के गठन के लिए तैयार हो जाएंगे।
कुल मिलाकर, संख्याबल के आधार पर सरकार गठन की स्थिति बन चुकी है, लेकिन असली चुनौती सामाजिक-राजनीतिक सहमति और शांति बहाली की है। कुकी-जो समुदाय को विश्वास में लेना, सुरक्षा और प्रशासनिक समाधान निकालना नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी।हालांकि, सवाल यह है कि क्या मणिपुर को जनवरी में नई सरकार मिलेगी या राष्ट्रपति शासन का दौर आगे भी जारी रहेगा।
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