भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व अधिकारी और ठेकेदार की गिरफ्तारी

भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो ने 28 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में एक पूर्व खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी और एक ठेकेदार को गिरफ्तार किया है। यह मामला 2023 में एसीबी को सौंपा गया था, जिसमें फर्जी बिलों के जरिए धन की हेराफेरी की गई थी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व अधिकारी और ठेकेदार की गिरफ्तारी

भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो की कार्रवाई

भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो (एसीबी) ने 28 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में एक पूर्व खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) और एक ठेकेदार को गिरफ्तार किया है। यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को साझा की।


एसीबी ने पूर्व बीडीपीओ पूजा शर्मा और ठेकेदार हीरालाल को शहर की अदालत में पेश किया। एसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हीरालाल को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, जबकि पूजा शर्मा को पूछताछ के लिए दो दिन की पुलिस हिरासत में रखा गया है।


प्राथमिकी दर्ज होने के बाद, सरकार ने पूजा को निलंबित कर दिया था। हालांकि, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद वह फिर से अपने कर्तव्यों पर लौट आईं। गिरफ्तारी के समय वह नूंह जिले के पुन्हाना में बीडीपीओ का कार्यभार संभाल रही थीं।


एसीबी अधिकारियों के अनुसार, फरीदाबाद के तत्कालीन उपायुक्त यशपाल यादव ने अप्रैल 2021 में बल्लभगढ़ के सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पूर्व उपायुक्त ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था।


प्राथमिकी में यह खुलासा हुआ कि जनवरी 2020 से मई 2020 के बीच मुजेड़ी गांव की पूर्व सरपंच रानी और निलंबित ग्राम सचिव विजयपाल ने बिना अनुमति के 2,32,46,767 रुपये निकाल लिए।


गहन जांच में यह सामने आया कि पंचायत को 69,01,936 रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ। आरोप है कि पूर्व बीडीपीओ ने कार्यवाहक सरपंच ब्रह्मपाल और ग्राम सचिव जोगेंद्र के साथ मिलकर ऐसे विकास कार्यों के फर्जी बिल पेश किए, जो कभी हुए ही नहीं। इसमें से 17.14 करोड़ रुपये अकेले ठेकेदार को दिए गए। यह मामला 2023 में एसीबी को जांच के लिए सौंपा गया था।