भोपाल में अयोध्या बायपास पर पेड़ों की कटाई पर NGT की रोक
NGT ने अयोध्या बायपास पर पेड़ों की कटाई पर लगाई रोक
अयोध्या बाइपास पर पेड़ों की कटाई
भोपाल के अयोध्या बायपास पर पेड़ों की कटाई पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 8 जनवरी 2026 को होगी। यह निर्णय तब आया जब एक मीडिया चैनल ने इस मुद्दे को उठाया, जिसके बाद NGT ने कार्रवाई की।
हालांकि, अयोध्या बायपास चौड़ीकरण परियोजना का मामला NGT में लंबित था, फिर भी तीन दिनों में 1500 से अधिक पेड़ों की कटाई की गई। स्टेट इम्पावरमेंट कमेटी (SEAC/सीईसी) ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को 7,881 पेड़ काटने की अनुमति दी थी, जिससे पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक संगठनों में असंतोष फैल गया।
अयोध्या बायपास क्षेत्र में बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा गया, जो स्थानीय लोगों के अनुसार, शहर के लिए एक हरे फेफड़े की तरह कार्य करते थे। इस परियोजना से संबंधित मामला पहले से ही NGT में विचाराधीन था, फिर भी इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की अनुमति देना कई सवाल उठाता है। नियमों के अनुसार, जब मामला NGT में लंबित हो, तो किसी भी बड़े पर्यावरणीय कार्य पर रोक लगनी चाहिए।
अनुमति कैसे मिली इतनी जल्दी?
सूत्रों के अनुसार, 12 दिसंबर को स्टेट इम्पावरमेंट कमेटी की बैठक हुई और उसी दिन या थोड़े समय में एनएचएआई को 7,881 पेड़ काटने की अनुमति दे दी गई। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की अनुमति देने से पहले विस्तृत पर्यावरणीय आकलन और जनसुनवाई आवश्यक होती है।
प्रतिपूरक वृक्षारोपण पर उठे सवाल
एनएचएआई ने दावा किया है कि पेड़ों की कटाई के बदले प्रतिपूरक वृक्षारोपण किया जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या नए पौधे उसी क्षेत्र में, उसी संख्या और जैव विविधता के होंगे? अनुभव से पता चलता है कि कागजों पर दिखाया गया वृक्षारोपण अक्सर वास्तविकता में नजर नहीं आता।
हाईकोर्ट और नियमों का संदर्भ
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे पहले भी हाईकोर्ट और NGT ने कई मामलों में स्पष्ट किया है कि विकास कार्यों के नाम पर अंधाधुंध पेड़ काटना स्वीकार्य नहीं है। सड़क चौड़ीकरण के लिए अन्य विकल्पों की तलाश की जानी चाहिए थी, लेकिन सबसे आसान रास्ता हरियाली को खत्म करना चुना गया।
