भोपाल नगर निगम में ऐतिहासिक प्रशासनिक फेरबदल

भोपाल नगर निगम में हाल ही में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक फेरबदल हुआ है, जिसमें 64 से अधिक अधिकारियों और इंजीनियरों को नई जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। यह निर्णय पार्षदों की शिकायतों के बाद लिया गया है, जिनका आरोप था कि इंजीनियर जनसमस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे थे। नए प्रशासनिक ढांचे में अतिक्रमण हटाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। जानें इस बदलाव के पीछे की वजह और इसके संभावित प्रभाव के बारे में।
 | 
भोपाल नगर निगम में ऐतिहासिक प्रशासनिक फेरबदल

भोपाल में बड़ा प्रशासनिक बदलाव


भोपाल


मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रशासनिक स्तर पर एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है। भोपाल नगर निगम (बीएमसी) में 64 से अधिक अधिकारियों और इंजीनियरों के कार्यभार में व्यापक परिवर्तन किया गया है। निगम आयुक्त संस्कृति जैन ने एक आदेश के तहत इन अधिकारियों को नई जिम्मेदारियां सौंप दी हैं, जिसे नगर निगम के इतिहास में सबसे बड़ा फेरबदल माना जा रहा है।


यह निर्णय नगर परिषद की बैठक में पार्षदों की लिखित शिकायतों के आधार पर लिया गया। पार्षदों ने आरोप लगाया कि पिछले चार महीनों से इंजीनियर न तो वार्ड में कार्य कर रहे थे और न ही जनसमस्याओं पर ध्यान दे रहे थे।


अतिक्रमण हटाने पर ध्यान केंद्रित


नए प्रशासनिक ढांचे में कार्यपालन यंत्रियों को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में तैनात किया गया है। उन्हें सिविल कार्यों के साथ-साथ अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। इसके लिए विशेष टीमें बनाई गई हैं, जो त्वरित कार्रवाई करेंगी।


जोनल अधिकारियों के तबादले


इस फेरबदल के तहत कई जोनल अधिकारियों के कार्यक्षेत्र में भी बदलाव किया गया है।


विजय शाक्य को जोन-14 का सहायक स्वास्थ्य अधिकारी नियुक्त किया गया है।


अंकित गौतम, संदीप मंडलेकर और भावना पटेरिया को विभिन्न जोन में एसएचओ की जिम्मेदारी दी गई है।


नए प्रशासनिक ढांचे की आवश्यकता


भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन के ड्राफ्ट से पहले नगर निगम का यह नया प्रशासनिक ढांचा तैयार किया गया है। मेट्रोपॉलिटन रीजन में सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराना एक बड़ी चुनौती है।


नए कार्यभार की जिम्मेदारी


बृजेश कौशल को गोविंदपुरा, अनिल टटवाड़े को मध्य एवं उत्तर विधानसभा, एसके राजेश को दक्षिण-पश्चिम एवं हुजूर, और अनिल कुमार साहनी को नरेला विधानसभा के सिविल कार्य और अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी दी गई है।


झील संरक्षण और उद्यान विभाग को भी नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। कार्यपालन यंत्री प्रमोद मालवीय को नरेला से हटाकर झील संरक्षण प्रकोष्ठ, उद्यान विभाग और प्रवेश द्वार प्रोजेक्ट का कार्यभार सौंपा गया है।


पिछले चार महीनों का विवाद


यह ध्यान देने योग्य है कि पूर्व नगर निगम आयुक्त हरेंद्र नारायण द्वारा इंजीनियरों के विभागों में बदलाव के बाद से विवाद बना हुआ था। पार्षदों का कहना था कि इंजीनियर न तो उनके वार्ड में पहुंच रहे थे और न ही विकास कार्यों में रुचि ले रहे थे।