भैरूंदा में आदिवासियों का भूमि अधिकारों के लिए संघर्ष
भैरूंदा में आदिवासियों ने भूमि अधिकारों के लिए पंचायत आयोजित की

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को भैरूंदा के दशहरा मैदान में आयोजित पंचायत में अनुसूचित जनजाति पंचायत से वन विभाग और वन विकास निगम के अधिकारियों की कथित तानाशाही को खुली चुनौती दी। वन भूमि पर बोवनी न करने के नोटिस थमाए जाने से आक्रोशित 8,000 से अधिक आदिवासियों के विशाल हुजूम के सामने चौहान ने मंच से पंचायत का दो टूक फैसला सुनाया कि कोई भी अपने पुराने कब्जे नहीं छोड़ेगा और बोवनी करेगा।
आदिवासी पुराने कब्जे नहीं छोड़ें-शिवराज
शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन की शुरुआत भावुकता से करते हुए बताया कि अधिकारियों ने धनतेरस के दिन गरीब आदिवासियों को नोटिस थमा दिए, जिससे उनकी दीवाली फीकी पड़ गई। ठीक दीवाली के दो दिन पहले गरीब बहनों और भाईयों को नोटिस थमा दिए गए। जिस जमीन पर उनका वर्षों से कब्जा है, उन्होंने खून-पसीना एक कर पत्थर खोदकर जैसे-तैसे खेत बनाया, उस खेत पर बोवनी नहीं करने का आदेश आया।
आदिवासियों के साथ मक्का की रोटी खाई
पंचायत खत्म होने के बाद केंद्रीय मंत्री ने वीआईपी व्यवस्था को छोड़कर आदिवासियों द्वारा लाई गई मक्का की रोटी और भिंडी की सब्जी का उनके साथ बैठकर जायका लिया। आधे घंटे से अधिक समय तक भोजन करते हुए उन्होंने संगठित रहने का मंत्र दिया और कहा कि लोकतंत्र में जनता की ताकत से बड़ी कोई ताकत नहीं है। अंत में उन्होंने आदिवासियों से नशे से दूर रहने और बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की अपील की।
बोवनी नहीं होगी तो जिएंगे कैसे
बोवनी नहीं होगी तो जिएंगे कैसे, खाएंगे कैसे। पंचायत से पहले 8,000 से अधिक आदिवासियों ने इंदौर रोड स्थित मोती विहार कॉलोनी से दशहरा मैदान तक पैदल मार्च कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया, जिससे मुख्य मार्ग पर यातायात ठप्प हो गया। उन्होंने कहा कि जिस जमीन पर वर्षों से खेती की जा रही है, उसे 'साक्ष्य नहीं' कहकर छीनना अन्याय है। 71 वर्षीय बुजुर्ग बंशीलाल (इटावाखुर्द) ने मंच पर बताया कि नोटिस मिलने के बाद चिंता में उनके गले से रोटी का निवाला तक नहीं उतरा।
हमारी है, खेल नहीं चलेगा-शिवराज
केंद्रीय कृषि मंत्री ने अधिकारियों को सीधे चेतावनी दी कि वह उनकी 'विकृत मानसिकता व पागलपन की कार्यवाही' को सहन नहीं करेंगे। हमारी सरकार, हमारे मुख्यमंत्री, हमारे नेता हैं, तो फिर अन्याय कैसा होगा। जिन्होंने नोटिस दिए हैं, वे सुन लें, सरकार तो हमारी है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई पुरानी जमीन पर बोवनी करने से रोकेगा, तो समुदाय सविनय अवज्ञा आंदोलन का सहारा लेगा। उन्होंने कहा, मैं अपनी जनता के साथ खड़ा हूँ। कोई इन्हें अकेला न समझे। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलकर पूरे मामले से अवगत कराने का वादा भी किया।
विधायक-निगम अध्यक्ष का मिला समर्थन
बुधनी विधायक रमाकांत भार्गव ने वन अधिकारियों पर मति भ्रम होने और पार्टी के विरुद्ध षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया। विधायक ने कहा कि यदि आदिवासियों की सेवा करना अपराध है, तो हम अपराधी हैं। आदिवासी विकास निगम की अध्यक्ष निर्मला बारेला ने बताया कि अधिकारी आदिवासियों को भारतीय वन भूमि अधिनियम 1927 का डर दिखा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि वन मित्र पोर्टल पर लंबित दावों का निराकरण बुजुर्गों के कथनों के आधार पर किया जाए और सरदार वल्लभ भाई पटेल अभ्यारण्य को पूर्णतः निरस्त किया जाए।
