भूतों का मेला: बिहार में अंधविश्वास का अनोखा उत्सव
भूतों का मेला बिहार में
भूतों का मेला बिहार में: वर्तमान समय में विज्ञान ने काफी तरक्की की है, जिसने लोगों के जीवन को आसान बना दिया है। फिर भी, शिक्षा और जानकारी की कमी के कारण, कई क्षेत्रों में अंधविश्वास अभी भी प्रचलित है।
भारत में कई स्थान हैं जहां लोग आज भी अंधविश्वास पर विश्वास करते हैं। इनमें से एक स्थान है बिहार, जहां हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर भूतों का मेला आयोजित होता है।
कहाँ होता है भूतों का मेला
कार्तिक पूर्णिमा के दिन, बिहार के हाजीपुर के कोनहारा घाट पर दुनिया का सबसे बड़ा भूतों का मेला लगता है। यह उत्सव कार्तिक पूर्णिमा की रात से पहले शुरू होता है। इसे स्थानीय भाषा में 'भूत खेली' कहा जाता है। इस मेले में लाखों लोग बुरी आत्माओं से मुक्ति पाने के लिए आते हैं, और भूतों को पकड़ने वाले ओझा भी बड़ी संख्या में यहां अपनी मंडली लगाते हैं।
प्रशासन की नजरों के सामने चलता मेला
कार्तिक पूर्णिमा के दौरान सभी घाटों पर प्रशासन सतर्क रहता है। हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं, लेकिन यह मेला प्रशासन की नजरों के सामने ही चलता है। वैशाली जिले में कई स्वयंसेवी संस्थाएं काम कर रही हैं, लेकिन उनकी वास्तविकता किसी से छिपी नहीं है। इनमें से अधिकांश संस्थाएं सरकारी योजनाओं में धांधली कर पैसे कमाने का प्रयास करती हैं। अंधविश्वास को समाप्त करने का एकमात्र उपाय शिक्षा है।
