भूटान में धार्मिक स्थलों की कमी: मुस्लिम और ईसाई समुदाय की स्थिति

भूटान, जो भारत का पड़ोसी देश है, में मुस्लिम और ईसाई समुदायों के लिए धार्मिक स्थलों की कमी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यहाँ मुस्लिमों के लिए कोई मस्जिद नहीं है और ईसाई समुदाय के लिए चर्च भी नहीं हैं। हालाँकि, बमथांग क्षेत्र में एक साझा प्रार्थना कक्ष है। इस लेख में भूटान में धार्मिक विविधता और चुनौतियों पर चर्चा की गई है, जो इन समुदायों के लिए प्रार्थना के अवसरों को सीमित करती है।
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भूटान में धार्मिक स्थलों की कमी: मुस्लिम और ईसाई समुदाय की स्थिति

भूटान में धार्मिक विविधता और चुनौतियाँ

भूटान में धार्मिक स्थलों की कमी: मुस्लिम और ईसाई समुदाय की स्थिति


भूटान, जो भारत का पड़ोसी और मित्र देश है, की कुल जनसंख्या लगभग 7.5 लाख है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग 5 से 7 हजार के बीच हैं। इसके बावजूद, इस देश में एक भी मस्जिद नहीं है।


भूटान में बौद्ध और हिंदू धर्म के कई मंदिर और मठ हैं, क्योंकि यहाँ हिंदू जनसंख्या लगभग 11.3% है। हालाँकि, मुस्लिम निवासियों के लिए मस्जिदों या पारंपरिक पूजा स्थलों की कमी है।


इसी प्रकार, भूटान में चर्च भी नहीं हैं, जबकि वहाँ बड़ी संख्या में ईसाई लोग निवास करते हैं। जब स्थानीय किसानों ने चर्च बनाने की अनुमति मांगी, तो इसे अस्वीकार कर दिया गया।


भूटान के बमथांग क्षेत्र में एक छोटा प्रार्थना कक्ष है, जिसमें तीन कमरे हैं, जहाँ मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के अनुयायी प्रार्थना कर सकते हैं।


इस देश में हिंदू और बौद्ध मंदिरों की कई भव्य संरचनाएँ हैं, जिनमें थिंपू की राजधानी में स्थित प्रमुख हिंदू मंदिर भी शामिल हैं।


इस प्रकार, भूटान एक ऐसा देश है जहाँ मुस्लिम और ईसाई समुदाय की उपस्थिति के बावजूद परंपरागत पूजा स्थलों की कमी है, लेकिन उन्हें साझा प्रार्थना कक्ष उपलब्ध कराए गए हैं।