भारतीय सेना ने 1965 के युद्ध की विजय की हीरक जयंती मनाई
भारतीय सेना ने मंगलवार को पंजाब के असल उत्तर में 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की विजय की हीरक जयंती मनाई। इस समारोह में राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और अन्य सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई, विशेष रूप से हवलदार अब्दुल हमीद को, जिनकी बहादुरी ने युद्ध का रुख बदल दिया। राज्यपाल ने सेना की संप्रभुता की रक्षा में योगदान और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में अभिलेखागार-सह-संग्रहालय के उद्घाटन की सराहना की।
Sep 30, 2025, 16:52 IST
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1965 के युद्ध की विजय की स्मृति
भारतीय सेना की वज्र कोर के अंतर्गत गोल्डन एरो डिवीजन ने मंगलवार को पंजाब के असल उत्तर में 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में मिली विजय की हीरक जयंती का आयोजन किया। इस समारोह में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, अन्य सैन्य कमांडर, युद्ध के दिग्गज, वीर नारियों, गणमान्य व्यक्तियों, छात्रों और स्थानीय नागरिकों की बड़ी संख्या में भागीदारी रही।
इस आयोजन में असल उत्तर और बरकी की लड़ाई के वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई, जिनकी अदम्य साहस और बलिदान ने 1965 के युद्ध का रुख भारत के पक्ष में मोड़ दिया। इस अवसर पर कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, जिन्हें परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया, को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उनकी बहादुरी और सर्वोच्च बलिदान भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में भारतीय सेना की संप्रभुता की रक्षा और देश की गौरवमयी सैन्य विरासत के संरक्षण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि 'अभिलेखागार-सह-संग्रहालय' और 'हामिद गैलरी' का उद्घाटन न केवल 1965 के नायकों को अमर करेगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए शिक्षा और प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। उन्होंने सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने और नागरिकों व सैनिकों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए सेना और भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत ट्रस्ट (INTACH) की सराहना की।
राज्यपाल ने यह भी कहा कि भारतीय सेना पर राष्ट्र का विश्वास भविष्य की किसी भी चुनौती का सामना करने में महत्वपूर्ण है। उन्होंने पुष्टि की कि जैसे-जैसे भारत अमृत काल के युग में आगे बढ़ रहा है, सेना राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने, एकता को बढ़ावा देने और युवाओं को साहस, अनुशासन और निष्ठा के साथ राष्ट्र की सेवा में समर्पित करने के लिए प्रेरित करती रहेगी। कार्यक्रम के दौरान, युद्ध के दिग्गजों और वीर नारियों को उनके बलिदान के लिए सम्मानित किया गया। अभिलेखागार-सह-संग्रहालय का उद्घाटन 1965 के युद्ध के स्थायी भंडार के रूप में किया गया, जो इतिहास, कलाकृतियों और वीरता की कहानियों को भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करेगा।