भारतीय सेना के विभाजन की कहानी: पाकिस्तान गए सैनिकों का इतिहास

इस लेख में हम भारतीय सेना के विभाजन के समय पाकिस्तान गए सैनिकों की कहानी पर चर्चा करेंगे। आजादी के बाद, जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तब कई सैनिकों ने अपनी मर्जी से एक नए देश का चुनाव किया। जानें कैसे राजपूताना राइफल्स की मुस्लिम टुकड़ी पाकिस्तान गई और भारतीय सेना में मुस्लिम सैनिकों की संख्या में कमी आई।
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भारतीय सेना के विभाजन की कहानी: पाकिस्तान गए सैनिकों का इतिहास

भारतीय सेना की वीरता और विभाजन

आपने भारतीय सेना की बहादुरी के कई किस्से सुने होंगे। आजादी के बाद से, ये सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं, चाहे वह पाकिस्तान हो या चीन।


इस लेख में हम उन सैनिकों की चर्चा करेंगे, जो विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे।


आजादी के बाद सैनिकों का बंटवारा

जब भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली, तब विभाजन की त्रासदी ने कई चीजों को प्रभावित किया। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान, कई शहर, गांव और बस्तियां दो नए देशों के बीच बांटी गईं। इस समय भारतीय सेना का भी बंटवारा हुआ। लगभग 260,000 सैनिक, जो हिंदू और सिख थे, भारत में रहे, जबकि 140,000 मुस्लिम सैनिक पाकिस्तान चले गए। इस प्रकार, भारतीय सेना के दो तिहाई सैनिक भारत में और एक तिहाई पाकिस्तान में शामिल हो गए।


सैनिकों के बंटवारे का आधार

देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था। मुस्लिमों के लिए पाकिस्तान और हिंदुओं व सिखों के लिए भारत बनाया गया। हालांकि, सैनिकों को अपनी मर्जी से देश चुनने का अधिकार दिया गया। इसी आधार पर भारतीय सेना का बंटवारा हुआ। सैनिकों का विभाजन धर्म के आधार पर किया गया, और उन्हें अपनी इच्छा से किसी भी सेना में शामिल होने की स्वतंत्रता दी गई। माना जाता है कि विभाजन से पहले भारतीय सेना में 30 से 36 प्रतिशत मुस्लिम सैनिक थे, लेकिन विभाजन के बाद यह संख्या घटकर लगभग दो प्रतिशत रह गई।


राजपूताना राइफल्स की मुस्लिम टुकड़ी

राजपूताना राइफल्स की बहादुरी के बारे में आपने कई कहानियाँ सुनी होंगी। इस रेजिमेंट में एक मुस्लिम सैनिकों की टुकड़ी भी थी। जब देश का बंटवारा हुआ, तो यह टुकड़ी पाकिस्तान चली गई और वहां की सेना में शामिल हो गई। इन सैनिकों को बलूच रेजिमेंट से जोड़ा गया।