भारतीय सेना के अभियानों के नामों पर राजनीतिक विवाद: एक गंभीर चिंता

भारतीय सेना के अभियानों के नामों पर उठते सवालों ने एक बार फिर चिंता बढ़ा दी है कि सेना को राजनीतिक विमर्श में क्यों खींचा जा रहा है। यह न केवल सेना की गरिमा के लिए खतरा है, बल्कि देश की सामूहिक सुरक्षा भावना को भी कमजोर करता है। जानें कैसे भारतीय सेना के नामकरण की परंपरा सांस्कृतिक पहचान और स्थानिक संदर्भ पर आधारित है, और क्यों इसे राजनीतिक बहस का हिस्सा बनाना अनुचित है।
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भारतीय सेना के अभियानों के नामों पर राजनीतिक विवाद: एक गंभीर चिंता

सेना के अभियानों पर उठते सवाल

भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' और 'ऑपरेशन महादेव' जैसे अभियानों की सफलता को नजरअंदाज करते हुए, कुछ विपक्षी नेताओं ने इन अभियानों के नामों पर सवाल उठाए हैं। यह स्थिति यह दर्शाती है कि सेना जैसे संवेदनशील और पेशेवर संस्थान को राजनीतिक विमर्श में क्यों खींचा जा रहा है। यह न केवल सेना की प्रतिष्ठा के लिए खतरा है, बल्कि देश की सामूहिक सुरक्षा भावना को भी कमजोर करता है।


अभियानों के नामों का चयन

यह जानना महत्वपूर्ण है कि सेना द्वारा दिए गए अभियानों के नाम किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं होते हैं और न ही किसी विशेष धर्म के प्रचार के लिए चुने जाते हैं। इन नामों का चयन अक्सर भौगोलिक स्थान, सांस्कृतिक पहचान, प्रतीकात्मक प्रेरणा या सैन्य परंपरा के आधार पर किया जाता है। उदाहरण के लिए, 'ऑपरेशन महादेव' का नाम महादेव रेंज से लिया गया है, जो अमरनाथ यात्रा मार्ग पर स्थित है। वहीं, 'ऑपरेशन सिंदूर' का संदर्भ पहलगाम में हुए आतंकी हमले में महिलाओं के सिंदूर को उजाड़ने की घटना से जुड़ा है।


स्थानीय पहचान और सांस्कृतिक संदर्भ

आलोचकों को यह समझना चाहिए कि 'ऑपरेशन महादेव' का नाम उस क्षेत्र से जुड़ा है जहां यह अभियान चलाया गया था। महादेव रेंज, जो अमरनाथ गुफा के निकट है, स्थानीय लोगों और सैनिकों के लिए पहचान का प्रतीक है। इसी तरह, अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा प्रबंधन को 'ऑपरेशन शिवा' कहा जाता है, जो सैन्य मानचित्रों में संदर्भ स्पष्ट करने के लिए उपयोग होता है।


भारतीय सेना की नामकरण परंपरा

भारतीय सेना के नामकरण की परंपरा बहुआयामी और प्रेरणादायक रही है। उदाहरण के लिए, 'एक्सरसाइज सुदर्शन शक्ति' का नाम भोपाल स्थित स्ट्राइक कोर के प्रतीक 'सुदर्शन चक्र' से प्रेरित है। इसी तरह, 'एक्सरसाइज कुरुक्षेत्र' का नाम महाभारत से लिया गया है, लेकिन इसका उद्देश्य धार्मिक नहीं, बल्कि निर्णय-निर्माण क्षमता को परखना है।


धार्मिक संदर्भ और समावेशिता

गढ़वाल राइफल्स का युद्ध घोष 'बद्री विशाल लाल की जय' है, जो भगवान बद्रीनाथ का प्रतीक है। गढ़वाल राइफल्स में सभी धर्मों के लोग हैं और सभी इसे मनोबल का स्रोत मानते हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान की सैन्य कार्यवाहियों के नाम स्पष्ट रूप से धार्मिक प्रेरणा से प्रभावित होते हैं। भारतीय सेना का उद्देश्य प्रेरित करना है, न कि आस्थाओं को थोपना।


राजनीतिक बहस का हिस्सा बनाना

सेना के अभियानों के नाम को राजनीतिक बहस का हिस्सा बनाना एक खतरनाक प्रवृत्ति है। भारतीय सेना एक धर्मनिरपेक्ष और पेशेवर संस्था है, जहाँ सभी जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा के लोग मिलकर राष्ट्र की रक्षा करते हैं। किसी अभियान के नाम को धार्मिक दृष्टिकोण से देखना अनुचित है।


राष्ट्रहित में सेना की भूमिका

राजनीति में मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन इन्हें सेना की पेशेवर कार्यप्रणाली से जोड़ना राष्ट्रहित के खिलाफ है। किसी भी लोकतंत्र में सेना की भूमिका सरकार या विपक्ष की नहीं होती, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा की होती है।