भारतीय सेना की नई तकनीकी सुरक्षा प्रणाली: एलओसी पर घुसपैठ रोकने के लिए उन्नत उपाय
भारतीय सेना की नई सुरक्षा तकनीक
ऑपरेशन सिंदूर में अपनी स्वदेशी तकनीक की सफलता के बाद, भारतीय सेना ने सीमा सुरक्षा में एक नई तकनीकी उन्नति की है। तेजस लड़ाकू विमान के उन्नत संस्करण और ब्रह्मोस हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास के साथ, सेना ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के एलओसी पर घुसपैठ रोधी अभ्यास के बाद सुरक्षा तंत्र की समीक्षा की गई, जिसमें एंटी इनफील्ट्रेशन ऑब्सटेकल सिस्टम (AIOS) को आधुनिक तकनीक के साथ अपडेट किया गया है।
AIOS का उन्नत मिश्रण
इस उन्नत प्रणाली में एलओसी पर फेंसिंग, सेंसर, पेट्रोलिंग और ड्रोन का एक प्रभावशाली संयोजन शामिल है, जो सुरक्षा को अत्यधिक सघन और चौकस बनाता है। AIOS को अब काउंटर ड्रोन सिस्टम और एयर ड्रोन गन से सुसज्जित किया गया है, जिससे अवैध घुसपैठ करने वाले छोटे ड्रोन की पहचान और त्वरित नष्ट करना संभव हो गया है। यह सुरक्षा तंत्र सीमा पार से घुसपैठ, हथियारों की तस्करी और अन्य आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में सहायक है।
BOSS निगरानी प्रणाली
इसके अतिरिक्त, सेना अपनी निगरानी प्रणाली BOSS का उपयोग कर रही है, जिसमें कैमरे, रडार, लेजर फेंस और कम दूरी के निगरानी उपकरण शामिल हैं। ये सभी तकनीकी संसाधन मिलकर एलओसी पर सुरक्षा को उच्चतम स्तर पर पहुंचाते हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद उठाया गया यह कदम सेना की सतर्कता और तकनीकी श्रेष्ठता का प्रतीक है, जिससे भारत की सीमाएँ अब पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हो गई हैं।
सुरक्षा में सुधार
सेना की इस निरंतर अपग्रेडेशन प्रक्रिया से न केवल विरोधी देशों की नापाक हरकतों पर नियंत्रण लगेगा, बल्कि सीमा क्षेत्र में तैनात जवानों का जीवन भी सुरक्षित रहेगा। इस आधुनिक सुरक्षा व्यवस्था के माध्यम से एलओसी पर आतंकियों और घुसपैठियों की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जाएगी, जो भारत की सुरक्षा की दीवार को और मजबूत बनाएगी।