भारतीय सेना की नई 9mm पिस्टल खरीदने की योजना

भारतीय सेना ने स्वदेश में निर्मित 9mm पिस्टल की खरीद प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें लगभग एक लाख पिस्टल और उनके साथ आवश्यक एक्सेसरी पैकेज शामिल हैं। यह कदम विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। नई पिस्टल को विभिन्न भू-भागों में कार्य करने के लिए सक्षम होना चाहिए और इसमें मॉड्यूलर डिजाइन की आवश्यकता है। इसके अलावा, सेना ने कंपनियों से स्वदेशीकरण का रोडमैप भी मांगा है।
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भारतीय सेना की पिस्टल खरीद प्रक्रिया

भारतीय सेना ने स्वदेश में निर्मित 9mm पिस्टल को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वर्तमान में, इस हथियार का बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है और इसका उपयोग इन्फैंट्री जवानों, कमांडिंग ऑफिसर्स और वरिष्ठ फील्ड कमांडरों द्वारा किया जाता है।


रक्षा मंत्रालय की पहल

रक्षा मंत्रालय ने DAP-2020 के तहत Request for Information (RFI) जारी किया है। इस योजना के तहत, सेना लगभग एक लाख 9mm पिस्टल और उनके साथ आवश्यक एक्सेसरी पैकेज खरीदने की योजना बना रही है।


सेकेंडरी हथियार की भूमिका

पिस्टल को आधुनिक युद्ध में सेकेंडरी हथियार के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेष रूप से क्लोज-क्वार्टर कॉम्बैट, आतंकवाद विरोधी अभियानों और शहरी युद्ध में, जहां मुठभेड़ निकटता से होती है। जंगलों, घनी आबादी वाले क्षेत्रों और उच्च-खतरे वाले स्थानों में तैनात जवानों के लिए, पिस्टल कई बार अंतिम या बैक-अप हथियार के रूप में कार्य करती है।


भू-भाग के अनुसार आवश्यकताएँ

सेना ने स्पष्ट किया है कि नई पिस्टल को भारत के विभिन्न भू-भागों में कार्य करने के लिए सक्षम होना चाहिए। इसमें पश्चिमी सीमा के रेगिस्तान और मैदान से लेकर उत्तर और पूर्व के 18,000 फीट ऊँचे पहाड़ी क्षेत्रों तक शामिल हैं। हथियार को 30 डिग्री से +55 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी विश्वसनीयता से कार्य करना होगा, दिन और रात दोनों समय।


मॉड्यूलर डिजाइन की आवश्यकता

सेना एक मॉड्यूलर डिजाइन वाली पिस्टल की मांग कर रही है, ताकि भविष्य में बिना बड़े बदलाव के इसे अपग्रेड किया जा सके। इसके साथ ही, पिस्टल में रेड डॉट साइट, लेज़र, सप्रेसर, टैक्टिकल होल्स्टर और लैनयार्ड जैसे आधुनिक एक्सेसरी लगाने की सुविधा भी होनी चाहिए।


मजबूती और प्रदर्शन पर ध्यान

RFI में हथियार की मजबूती, विश्वसनीय प्रदर्शन और आसान रखरखाव पर विशेष ध्यान दिया गया है। कंपनियों से बैरल लाइफ, सटीकता, जंग से सुरक्षा, पानी में कार्य करने की क्षमता और सुरक्षा विशेषताओं की पूरी जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा, स्पेयर पार्ट्स, मरम्मत की सुविधा और फील्ड स्तर पर मरम्मत भी महत्वपूर्ण शर्तें होंगी।


स्वदेशीकरण का रोडमैप

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत, सेना ने कंपनियों से स्वदेशीकरण का एक विस्तृत रोडमैप भी मांगा है। इसमें देशी सामग्री, बौद्धिक संपदा अधिकार, भारत में निर्माण लाइसेंस और आवश्यकता पड़ने पर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की जानकारी शामिल है।


विदेशी हथियारों पर निर्भरता कम करना

सूत्रों के अनुसार, इस वर्ष के अंत तक Request for Proposal (RFP) जारी किया जा सकता है। यह खरीद सेना की इन्फैंट्री और क्लोज-कॉम्बैट उपकरणों के आधुनिकीकरण की एक बड़ी योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य विदेशी हथियारों पर निर्भरता को कम करना है।