भारतीय सेना का ऑपरेशन सिंदूर: 22 मिनट में 9 ठिकानों पर सटीक हमला

ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता को उजागर किया, जिसमें 22 मिनट में 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इसे एक 'भरोसेमंद ऑर्केस्ट्रा' की तरह बताया, जिसमें सभी सुरक्षा एजेंसियों ने मिलकर काम किया। जानें इस सफल ऑपरेशन की पूरी कहानी और इसके पीछे की योजना।
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भारतीय सेना का ऑपरेशन सिंदूर: 22 मिनट में 9 ठिकानों पर सटीक हमला

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की कहानी

भारतीय सेना का ऑपरेशन सिंदूर: 22 मिनट में 9 ठिकानों पर सटीक हमला

जनरल उपेंद्र द्विवेदी

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता की चर्चा विश्वभर में हो रही है, और लोग इस भारतीय सेना के सफल अभियान की कहानी जानने के लिए उत्सुक हैं। आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में इस ऑपरेशन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर एक 'भरोसेमंद ऑर्केस्ट्रा' की तरह था, जिसमें सभी सदस्यों ने सामूहिक रूप से कार्य किया, और इसी कारण 22 मिनट में भारतीय सेना ने नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया।

दिल्ली के एक प्रबंधन संस्थान के दीक्षांत समारोह में अपने भाषण में, उन्होंने यह भी बताया कि सैन्य अभियानों में परिस्थितियों के अनुसार बदलाव करने की क्षमता आवश्यक होती है।

सालों की योजना का परिणाम

ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह एक तात्कालिक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि वर्षों की योजना का परिणाम था, जिसमें इंटेलिजेंस, सटीकता और तकनीक का समन्वय शामिल था। उन्होंने यह भी बताया कि यह ऑपरेशन केवल एक यूनिट का कार्य नहीं था, बल्कि इसमें विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के कई विभाग शामिल थे।

ऑपरेशन सिंदूर का विवरण

ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर किया गया एक सटीक मिसाइल और ड्रोन हमला था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले का प्रतिशोध था, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना ने मिलकर कार्य किया।

इस अभियान में राफेल लड़ाकू विमानों, SCALP क्रूज मिसाइलों, हैमर बमों और भारतीय ड्रोन का उपयोग किया गया। पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की, लेकिन भारतीय बलों ने कई हमलों को विफल कर दिया, और यह संघर्ष लगभग चार दिनों तक चला। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, इस संघर्ष को अमेरिका की मध्यस्थता से समाप्त किया गया।