भारतीय विवाह में वरमाला की रस्म का महत्व और परंपरा
वरमाला की रस्म
वरमाला की रस्मImage Credit source: unsplash
भारतीय विवाह में वरमाला का महत्व: भारतीय विवाह परंपराओं में वरमाला का आदान-प्रदान एक महत्वपूर्ण और प्रतीकात्मक क्षण है। यह केवल फूलों का आदान-प्रदान नहीं है, बल्कि यह वर और वधू के बीच जीवनसाथी के रूप में स्वीकृति की एक महत्वपूर्ण रस्म है। आपने देखा होगा कि इस रस्म की शुरुआत दुल्हन द्वारा होती है, यानी पहले वरमाला दूल्हे के गले में डाली जाती है। आइए जानते हैं कि यह परंपरा क्यों निभाई जाती है और इसके पीछे क्या पौराणिक कथाएँ और सामाजिक संकेत हैं।
स्वयंवर की परंपरा का इतिहास
प्राचीन भारत में स्वयंवर की परंपरा होती थी, जिसमें योग्य राजकुमारों को आमंत्रित किया जाता था और राजकन्या अपने पसंद के वर को माला पहनाकर जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करती थी। यह माला पहनाना स्वयंवर का सबसे महत्वपूर्ण क्षण होता था, जो दर्शाता था कि कन्या ने किसे अपना वर चुना है। आज की शादी की रस्मों में भी इस परंपरा की झलक देखने को मिलती है। जब दुल्हन दूल्हे को वरमाला पहनाती है, तो यह दर्शाता है कि उसने उसे अपने जीवन का साथी स्वीकार किया है।
रामसीता के स्वयंवर की पौराणिक कथा
रामायण से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा में राजा जनक ने घोषणा की थी कि जो वीर भगवान शिव के धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, वही उनकी पुत्री सीता का पति बनेगा। जब भगवान श्रीराम ने शिव धनुष को उठाकर तोड़ दिया, तब माता सीता ने प्रसन्न होकर भगवान राम के गले में जयमाला डाल दी। यही क्षण उस युग का सबसे बड़ा स्वयंवर बना और इसी से यह परंपरा आगे बढ़ी कि कन्या ही पहले वर को माला पहनाती है।
शुभ शुरुआत का प्रतीक: दुल्हन का पहल करना विवाह के शुभ योग और मंगल की शुरुआत का संकेत माना जाता है। यह दर्शाता है कि आने वाला दांपत्य जीवन प्रेम, समझदारी और खुशियों से भरा होगा।
आध्यात्मिक अर्थ
वरमाला का अर्थ केवल “माला पहनाना” नहीं है, बल्कि यह एक स्वीकृति और सम्मान का प्रतीक है। जब दुल्हन दूल्हे को माला पहनाती है, तो वह अपने हृदय से उसे स्वीकार करती है और जीवन के हर सुख-दुख में साथ निभाने का संकल्प लेती है। इसके बाद जब दूल्हा दुल्हन को माला पहनाता है, तो वह भी इसे दिल से स्वीकार करता है और जीवन भर साथ निभाने का वचन लेता है।
वरमाला का शाब्दिक महत्व
फूल: हिंदू धर्म में फूल सौंदर्य, पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा के प्रतीक होते हैं। फूलों की सुगंध वातावरण को शुद्ध करती है और वर-वधू के जीवन को हंसी-खुशी और आनंद से भरपूर होने की कामना करती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
हालांकि आजकल शादियां भव्य समारोहों में होती हैं, वरमाला की रस्म पुरानी परंपरा की याद दिलाती है, जहां विवाह समानता और स्वीकृति का प्रतीक माना जाता था। इस रस्म में दुल्हन का पहला कदम उठाना इस बात का प्रतीक है कि विवाह में स्त्री की मंजूरी सर्वोपरि मानी जाती है.
