भारतीय रेलवे में समुद्र तल से ऊंचाई का महत्व

इस लेख में हम भारतीय रेलवे में समुद्र तल से ऊंचाई के महत्व और इसके पीछे के नियमों पर चर्चा करेंगे। जानें कि रेलवे स्टेशन पर ऊंचाई का उल्लेख क्यों किया जाता है और यह ड्राइवरों के लिए कैसे सहायक होता है। इसके अलावा, कुछ अनजाने नियमों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें, जो यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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भारतीय रेलवे में समुद्र तल से ऊंचाई का महत्व

भारतीय रेलवे में चिन्हों का उपयोग


भारतीय रेलवे में ट्रेन के संचालन को सुचारू रखने के लिए ड्राइवरों, गार्डों और अन्य कर्मचारियों के लिए कई संकेतों का उपयोग किया जाता है। इस लेख में हम एक विशेष नियम, 'समुद्र तल से ऊंचाई' के बारे में चर्चा करेंगे। जब आप ट्रेन से यात्रा करते हैं, तो आपने रेलवे स्टेशन पर एक बोर्ड देखा होगा, जिस पर स्टेशन का नाम और समुद्र तल से ऊंचाई जैसे आंकड़े जैसे 200 मीटर, 310 मीटर आदि लिखे होते हैं।


समुद्र तल से ऊंचाई का महत्व

क्या आपने कभी सोचा है कि रेलवे स्टेशन पर समुद्र तल से ऊंचाई का उल्लेख क्यों किया जाता है? यह यात्रियों की जानकारी के लिए नहीं, बल्कि रेलवे के कर्मचारियों के लिए है। उदाहरण के लिए, यदि ट्रेन 200 मीटर की ऊंचाई से 250 मीटर की ऊंचाई पर जा रही है, तो ड्राइवर यह समझ सकता है कि उसे इंजन को कितनी शक्ति देनी होगी।


इससे ड्राइवर यह भी जान सकता है कि ट्रेन को नीचे उतरते समय कितनी गति बनाए रखनी होगी। इसके अलावा, यह ऊंचाई ट्रेन के ऊपर लगे बिजली के तारों को सही ऊंचाई पर रखने में भी मदद करती है।


रेलवे के कुछ अनजाने नियम

1- रात में टिकट चेकिंग: रेलवे ने निर्णय लिया है कि आरक्षित टिकटों की चेकिंग रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक नहीं की जाएगी।


2- सामान चोरी का मुआवजा: सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यदि किसी आरक्षित यात्री का सामान चोरी हो जाता है, तो वह रेलवे से मुआवजा मांग सकता है।


3- वेटिंग टिकट: वेटिंग टिकट वाले यात्री आरक्षित कोच में यात्रा नहीं कर सकते।


4- ई बेडरोल सेवा: ऑनलाइन बेडरोल बुकिंग की सुविधा कुछ स्टेशनों पर उपलब्ध है।


5- 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए नियम: बिना टिकट यात्रा करने वाले बच्चों से केवल किराया लिया जाएगा।