भारतीय रेलवे की सुरक्षा प्रणाली: ड्राइवर की नींद से बचाव के उपाय
भारतीय रेलवे की अनोखी सुरक्षा प्रणाली
सड़क दुर्घटनाओं के बारे में आपने कई बार सुना होगा, जो विभिन्न कारणों से होती हैं, जैसे ड्राइवर की नींद आना या मोबाइल पर बात करना। आज हम रेलवे के सुरक्षा तंत्र के बारे में चर्चा करेंगे, जो शायद बहुत से लोगों को नहीं पता होगा। भारतीय रेलवे, जो दुनिया में चौथा और एशिया में दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है, पूरी ट्रेन को एक इंजन द्वारा नियंत्रित करता है, जिसे लोको पायलट कहा जाता है।
ड्राइवर की नींद से बचने के उपाय
आपको यह जानकर अच्छा लगेगा कि ट्रेन में एक सहायक ड्राइवर भी होता है। यदि मुख्य ड्राइवर सो जाता है या किसी समस्या का सामना करता है, तो सहायक ड्राइवर उसे जगा सकता है। यदि स्थिति गंभीर हो, तो अगले स्टेशन पर सूचना देकर ट्रेन को रोका जा सकता है, और वहां नया ड्राइवर नियुक्त किया जा सकता है।
सुरक्षा नियमों का पालन
यह ध्यान देने योग्य है कि यदि दोनों ड्राइवर सो जाएं, तो भी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। रेलवे ने इस स्थिति के लिए ट्रेन के इंजन में एक विजीलेंस कंट्रोल डिवाइस स्थापित किया है। यह डिवाइस सुनिश्चित करता है कि यदि ड्राइवर एक मिनट तक प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो 17 सेकंड के भीतर एक ऑडियो विजुअल संकेत भेजा जाता है। यदि ड्राइवर इस संकेत का उत्तर नहीं देता है, तो ऑटोमैटिक ब्रेक लगना शुरू हो जाता है।
रेलवे कर्मचारियों की सतर्कता
रेल चालक को ट्रेन चलाते समय गति को नियंत्रित करने और हॉर्न बजाने की आवश्यकता होती है। यदि वह एक मिनट तक प्रतिक्रिया नहीं देता है, तो रेलवे ऑडियो विजुअल संकेत भेजता है। यदि फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो ट्रेन एक किलोमीटर की दूरी पर जाकर रुक जाती है। इस स्थिति में अन्य रेलवे कर्मचारी मामले का संज्ञान लेते हैं, जिससे बड़े हादसों को टाला जा सकता है।
