भारतीय राजनीति में परिवारवाद: जम्मू-कश्मीर से तमिलनाडु तक की घटनाएं

परिवारवाद का मुद्दा फिर से गरमाया
भारतीय राजनीति में परिवारवाद एक पुरानी परंपरा है, जहां अक्सर राजनेता अपने परिवार के सदस्यों को राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़ाते हैं। हाल ही में, कुछ राज्यों में इस विषय पर बहस फिर से तेज हो गई है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर आरोप है कि वे अपने बेटों को राजनीति में लाने के लिए तैयार कर रहे हैं। वहीं, तेलंगाना में बीआरएस प्रमुख केसीआर के परिवार में पार्टी की कमान को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। तमिलनाडु में पीएमके के प्रमुख रामदास ने अपने बेटे को केंद्रीय मंत्री बनाने के फैसले पर पछतावा जताया है।
जम्मू-कश्मीर में वंशवाद का नया उदाहरण
जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की एक तस्वीर वायरल हुई है, जिसमें वे अपने बेटों जमीर और जाहिर के साथ राज्य के अधिकारियों के साथ बैठे हैं। इस तस्वीर ने राजनीतिक हलचल मचा दी है, और विपक्षी पार्टी पीडीपी ने नेशनल कांफ्रेंस पर वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। पीडीपी प्रवक्ता मोहित भान ने कहा कि यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि वंशवाद का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह एक शाही परिवार की तरह है जो शासन को पारिवारिक संपत्ति समझता है।
तेलंगाना में केसीआर के परिवार में विवाद
तेलंगाना में, बीआरएस की विधानपरिषद सदस्य के. कविता ने पार्टी में अपने आलोचकों पर हमला करते हुए कहा कि कुछ लोग पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाले दल का भाजपा में विलय करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने भाई केटी रामा राव पर भी परोक्ष रूप से आरोप लगाया कि जब वह जेल में थीं, तब उन्हें विलय का प्रस्ताव दिया गया था। कविता ने कहा कि बीआरएस तेलंगाना के लोगों के लिए एक सुरक्षा कवच है।
तमिलनाडु में पीएमके का संकट
तमिलनाडु में, पीएमके के संस्थापक डॉ. एस. रामदास ने अपने बेटे डॉ. अंबुमणि रामदास को केंद्रीय मंत्री बनाने के फैसले पर पछतावा जताया है। उन्होंने कहा कि यह उनके सिद्धांतों के खिलाफ था। अंबुमणि ने हाल ही में अपने पिता से पार्टी अध्यक्ष पद के बारे में सवाल उठाया था, जिसके बाद रामदास ने उन्हें पद से हटा दिया। रामदास ने कहा कि अंबुमणि ने पार्टी के विकास में बाधा डाली है।
वंशवाद का प्रभाव
भारतीय राजनीति में परिवारवाद की यह स्थिति केवल जम्मू-कश्मीर और तमिलनाडु तक सीमित नहीं है। उत्तर प्रदेश में भी अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को हटाकर खुद को समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष घोषित किया था। इसी तरह, महाराष्ट्र में ठाकरे और पवार परिवारों के बीच भी राजनीतिक विरासत पर कब्जे की लड़ाई चल रही है। भारतीय लोकतंत्र में वंशवाद की यह वास्तविकता एक गंभीर मुद्दा है।