भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने जीता पहला वर्ल्ड कप, मिली 39.55 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि

भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 2 नवंबर को साउथ अफ्रीका को हराकर अपना पहला वर्ल्ड कप जीत लिया। इस ऐतिहासिक जीत के साथ टीम को 39.55 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि मिली। शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा के शानदार प्रदर्शन ने टीम को फाइनल में सफलता दिलाई। जानें इस जीत के पीछे की कहानी और पुरस्कार वितरण के बारे में।
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भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने जीता पहला वर्ल्ड कप, मिली 39.55 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि

भारतीय महिला टीम का ऐतिहासिक जीत

मुंबई: 2005 में ऑस्ट्रेलिया और 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में हारने के बाद, भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने आखिरकार अपना पहला वर्ल्ड कप जीत लिया। 2 नवंबर की रात, डीवाई पाटिल स्टेडियम में साउथ अफ्रीका को 52 रन से हराकर टीम ने इतिहास रच दिया। इस शानदार जीत के साथ ही खिलाड़ियों पर पुरस्कारों की बारिश भी हुई।


भारत को मिली 39.55 करोड़ रुपये

आईसीसी वर्ल्ड कप के इतिहास में पहली बार कुल 122.5 करोड़ रुपये की पुरस्कार राशि दी गई। भारतीय टीम को वर्ल्ड चैंपियन बनने पर 4.48 मिलियन अमेरिकी डॉलर, जो लगभग 39.55 करोड़ रुपये के बराबर है, प्राप्त हुए। वहीं, उप विजेता साउथ अफ्रीका को 2.24 मिलियन अमेरिकी डॉलर, यानी लगभग 19.77 करोड़ रुपये मिले।


प्रत्येक टीम को मिली पुरस्कार राशि

सेमीफाइनल में हारने वाली ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को 1.12-1.12 मिलियन अमेरिकी डॉलर, लगभग ₹9.89 करोड़ रुपये मिले। पांचवें और छठे स्थान पर रहने वाली टीमों को लगभग ₹62 लाख और सातवें-आठवें स्थान पर रहने वाली टीमों को लगभग ₹24.71 लाख रुपये मिले। टूर्नामेंट में भाग लेने वाली हर टीम को लगभग ₹22 लाख रुपये का भी भुगतान किया गया।


शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा का योगदान

फाइनल मैच में भारतीय टीम की जीत का श्रेय शेफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा के शानदार प्रदर्शन को जाता है। शेफाली ने 78 गेंदों में 87 रन बनाकर पारी की शुरुआत की और अपनी स्पिन गेंदबाजी से अनुभवी बल्लेबाजों को आउट किया।


दीप्ति शर्मा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्होंने 58 गेंदों में 58 रन बनाकर और दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट सहित पांच विकेट लेकर मैच का रुख बदल दिया।


52 साल का सूखा समाप्त

भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 298 रन बनाए और साउथ अफ्रीका को 246 रन पर रोककर 52 साल के सूखे को समाप्त किया। वोल्वार्ड्ट ने 41वें ओवर तक एक छोर पर टिके रहकर टीम को संभाला, लेकिन लगातार विकेट गिरने के कारण दबाव बढ़ गया। जैसे ही हरमनप्रीत ने नाडिन डि क्लार्क का कैच पकड़ा, स्टेडियम में खुशी की लहर दौड़ गई।