भारतीय पत्रकारिता: मिशन से प्रोफेशन तक की यात्रा
आबू रोड में आयोजित राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने भारतीय पत्रकारिता के मिशन और मूल्यों पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि मीडिया का उद्देश्य हमेशा एक मिशन रहा है, न कि केवल एक पेशा। उनके अनुसार, आजादी के आंदोलन के मूल्य ही पत्रकारिता के मूल हैं, और हमें वास्तविक स्वराज लाने के लिए प्रयास करना चाहिए। जानें उनके विचारों की गहराई और भारतीय पत्रकारिता के भविष्य के बारे में।
Sep 29, 2025, 13:43 IST
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राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में प्रोफेसर द्विवेदी का विचार
आबू रोड। ब्रम्हकुमारीज के मुख्यालय में आयोजित राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन के दौरान एक विशेष संवाद सत्र में भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी ने मीडिया के विकास पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि मीडिया पहले एक मिशन था और अब यह केवल एक पेशा बन गया है। टीवी पत्रकार बीके ज्योति के साथ बातचीत में, प्रोफेसर द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि किसी भी समय में किसी भी विधा के सिद्धांतों में बदलाव नहीं आ सकता। कुछ व्यक्तियों के विचलन से मूल्य आधारित पत्रकारिता का मार्ग नहीं रुकता। यह हमेशा एक मिशन रहा है, है और रहेगा।
उन्होंने आगे कहा कि चिकित्सा, शिक्षा और मीडिया जैसे सभी शास्त्र अंततः एक मिशन के रूप में कार्य करते हैं। कुछ लोगों की बाजारू सोच से मूल्य और सिद्धांत नहीं बदलते। मूल्यनिष्ठा, संवेदनशीलता, जनहित और राष्ट्रीय हित ही इसकी कसौटी हैं।
प्रो. द्विवेदी ने यह भी कहा कि आजादी के आंदोलन के मूल्य ही भारतीय पत्रकारिता के मूल हैं, और हमें वास्तविक स्वराज लाने के लिए प्रयासरत रहना होगा। तभी भारतीय भाषाओं, वेशभूषा, स्वशासन और भारतीय पद्धतियों का सम्मान किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारा देश भले ही स्वतंत्र है, लेकिन स्वराज अभी भी प्रतीक्षित है। लोक-मंगल ही किसी भी विधा की वास्तविक कसौटी है, और इसी में इसकी सार्थकता निहित है।