भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में शामिल होने से रोका गया

विदेश मंत्रालय की चेतावनी
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने अपने नागरिकों को रूसी सेना में शामिल होने से मना करते हुए चेतावनी दी है कि यह एक खतरनाक रास्ता है। यह बयान उन रिपोर्टों के संदर्भ में आया है, जिनमें कहा गया था कि कई भारतीय नागरिकों को यूक्रेन में लड़ाई के लिए मजबूर किया गया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हमने हाल ही में भारतीय नागरिकों की रूसी सेना में भर्ती के बारे में जानकारी प्राप्त की है। सरकार ने पिछले वर्ष में कई बार इस प्रक्रिया के संभावित खतरों को उजागर किया है और नागरिकों को सावधान किया है।
रूसी अधिकारियों से बातचीत
जायसवाल ने आगे बताया कि नई दिल्ली ने इस मुद्दे को दिल्ली और मॉस्को दोनों जगहों पर रूसी अधिकारियों के समक्ष उठाया है और उनसे अनुरोध किया है कि इस प्रथा को समाप्त किया जाए और भारतीय नागरिकों को रिहा किया जाए। उन्होंने कहा कि हम प्रभावित नागरिकों के परिवारों के साथ भी संपर्क में हैं। एक बार फिर, हम सभी भारतीय नागरिकों से अपील करते हैं कि वे रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहें, क्योंकि यह एक जोखिम भरा कदम है।
पिछले अनुभव
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय नागरिकों को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया है। 24 जुलाई, 2025 को, विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा को सूचित किया था कि 127 भारतीय नागरिक रूसी सशस्त्र बलों में सेवा कर रहे थे। भारत और रूस के बीच उच्चस्तरीय वार्ताओं के बाद, उनमें से 98 की सेवाएँ समाप्त कर दी गईं। हालांकि, 13 भारतीय अभी भी रूसी सेना में हैं, और रूस ने बताया कि उनमें से 12 लापता हैं।